
This deity was born from the wrath of Lord Shiva
सनातन धर्म में आदि पंच देवों को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इन पंच देवों में श्रीगणेश, भगवान विष्णु, देवी मां दुर्गा, भगवान शंकर व सूर्य नारायण शामिल हैं। वहीं त्रिदेवों में भगवान विष्णु, भगवान शंकर व ब्रह्मा को माना जाता है, जिनके कार्य क्रमश: पालन करना, संहार करना व निर्माण करना है।
इन देवों में भगवान शंकर के ही देवों के देव महादेव माना जाता है। इन्हें भोलेनाथ, शिव, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हें ही भैरव के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू धर्म में शिव प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं।
शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग और मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है।
शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति और रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। वहीं ये भी मान्यता है शिव ने पृथ्वी पर भी अवतार लिए हैं। इसके अलावा उनके कई गण भी हैं, इन्हीं में से एक गण हैं वीरभद्र...
शिव का एक उग्र रूप...
ऐसे में भगवान शिव के इसी गण को समर्पित वीरभद्र मंदिर उत्तराखंड के ऋषिकेश के वीरभद्र नगर में स्थित है, जिसे भक्त वीर भद्रेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं। यह शिव का एक उग्र रूप है| यह 1,300 साल पुराना मंदिर है, जहां वीरभद्र यानि भगवान शिव के एक रूप की पूजा की जाती है। शिवरात्रि और सावन के अवसर पर रात्रि जागरण और विशेष पूजाएं आयोजित की जाती हैं।
इसके अलावा महाशिवरात्रि पर्व के साथ मेलों का आयोजन होता है। किंवदंतियों के अनुसार वीरभद्र भगवान शिव का एक अवतार माना जाता है, जो क्रोध में उनके द्वारा बनाया गया था।
पौराणिक मान्यताएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वीर भद्रेश्वर मंदिर का पौराणिक महत्व भी है। मान्यता है कि इस स्थान पर दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया था। जब सती (उमा) को पता चला कि उसके पिता यज्ञ कर रहे हैं, तो उन्होंने भगवान शंकर से यज्ञ में चलने को कहा। निमंत्रण न होने पर भगवान शंकर ने यज्ञ में जाने से मना कर दिया।
इस पर जब सती काफी जिद करने लगी तो शंकर ने उसे अपने दो गणों के साथ यज्ञ में भेज दिया। यज्ञ स्थल पर जब सती पहुंची तो उन्होंने देखा कि उनके पिता प्रजापति ने भगवान शंकर का आसन तक नहीं रखा है। सती ने इसका कारण पिता से पूछा तो दक्ष ने भगवान शंकर के लिए अपमान-सूचक शब्दों का प्रयोग किया।
इसे सहन न कर सती ने यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया। सती के साथ आए गणों ने इसकी सूचना लौटकर भगवान शिव को दी। इस पर शंकर भगवान के क्रोधित हो उठे और उनके इसी क्रोध के फलस्वरुप वीरभद्र नाम के गण का जन्म हुआ।
भगवान की आज्ञा लेकर वीरभद्र ने यज्ञस्थल को विध्वंस कर दिया। इसके बाद भगवान शंकर के शरीर में समा गया। इसी गण के नाम से वीरभद्र का मंदिर जाना जाता है। वहीं इसी मंदिर के नाम से ही यहां के स्थान का नाम भी वीरभद्र पड़ा।
खुदाई में मिले अवशेष
वर्ष 1976 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने वीरभद्र मंदिर के निकट एक मिट्टी के टीले की खुदाई करके हजारों वर्ष पुराने दबे मंदिर के अवशेष निकाले। खुदाई में वर्षों पुरानी मंदिर की चौड़ी बुनियाद पाई गई। इस जगह खुदाई में दीवारों के बीच स्थापित शिवलिंग के साथ चपटे पत्थरों की नक्काशी की हुई भगवान शंकर की मूर्तियां भी निकली।
शिवलिंग भी है स्थापित
इस स्थान पर बुनियाद को देखकर अंदाजा लगता है कि यहां कई कक्षों वाला विशाल मंदिर रहा होगा। इसमें एक कक्ष में शिवलिंग भी स्थापित है। इसे तीर्थयात्रियों के दर्शन को ज्यों का त्यों रखा है। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर के अवशेष के नाम पर इसकी बुनियाद ही सुरक्षित है। साथ ही यज्ञ का चबूतरा, नंदी बैल का स्थान भी सुरक्षित है।
इस स्थान पर खुदाई में निकली भगवान शंकर व अन्य देवी देवताओं की मूर्ति को पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में लिया हुआ है।
वर्तमान में हजारों साल पुराने मंदिर के अवशेष के निकट ही वीरभद्रेश्वर का नया मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में ही भक्त पूजा अर्चना करते हैं।
ऐसे पहुंचे : How To Reach?
ट्रेन- निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन हैं यहां से वीर भद्रेश्वर यानि वीरभद्र मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर हैं, यहां से आप वीरभद्र का मंदिर तक आसानी से टैक्सी में जा सकते हैं।
हवाई अड्डा - निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई हैं, यहां से वीरभद्र का मंदिर की दूरी लगभग 24 किलोमीटर हैं। यहां से आप वीरभद्र का मंदिर तक आसानी से टैक्सी में जा सकते हैं।
Published on:
20 Jun 2020 03:12 pm
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