
टोंक/पीपलू. देवभाषा संस्कृत पढ़ने में रुचि रखने वालों के लिए अच्छी खबर है। टोंक जिले के पीपलू उपखंड क्षेत्र के गहलोद में जिले का पहला संस्कृत महाविद्यालय इसी सत्र से प्रारंभ हुआ है। सरकार की ओर से बजट सत्र में स्वीकृत राजकीय शास्त्री महाविद्यालय की इसी सत्र से शुरुआत भी हो गई है।
इस बार राजस्थान में नए खुले संस्कृत कॉलेजों में किसी भी संकाय में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी शास्त्री प्रथम वर्ष में प्रवेश ले सकते हैं। पहले सत्र में छात्रों को ऑफ लाइन प्रवेश दिया जा रहा है। अब तक 23 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। प्रथम सत्र में शास्त्री प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए कुल 160 सीटें स्वीकृत की गई हैं। जिनमें से अब तक 23 सीटों पर प्रवेश हो चुका है। महाविद्यालय के लिए छोटी गहलोद रोड पर 7 बीघा भूमि आवंटित की गई है। जिस पर शीघ्र ही भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।
10 पद स्वीकृत
नवीन महाविद्यालय के लिए सरकार ने 10 पद स्वीकृत किए हैं जिनमें प्राचार्य,व्याकरण, साहित्य, राजनीतिक विज्ञान, हिंदी व अंग्रेजी के सहायक आचार्य, यूडीसी,एलडीसी व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल है। संस्कृत महाविद्यालय प्रभारी प्राचार्य के पद पर डॉ हरिशंकर प्रजापति कार्यरत हैं।
कॉलेज में यह विषय संचालित
महाविद्यालय में पहले सत्र में संस्कृत शिक्षा निदेशालय की ओर से हिन्दी, अंग्रेजी व पर्यावरण अनिवार्य विषय के अलावा ऐच्छिक विषय के रूप में व्याकरण, संस्कृत साहित्य, हिन्दी साहित्य व अंग्रेजी साहित्य विषय संचालित होंगे।
जिले में चार वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय संचालित: जिले में गहलोद, सीतारामपुरा, करीरिया में वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय पहले से ही संचालित है। मीणा की झोपडिय़ां बनेठा में इसी सत्र से उपाध्याय विद्यालय शुरू हुआ।
राज्य सरकार की ओर से की गई बजट घोषणा के अनुसार टोंक के समीप और पीपलू उपखण्ड के गहलोद गांव में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय का पहला सत्र शुरू हो गया है। संस्कृत से स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को अब टोंक जिले से बाहर नहीं जाना पडे़गा।
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गहलोद में स्वीकृत नवीन संस्कृत महाविद्यालय इसी सत्र से शुरू हो गया है। इस वर्ष सत्र देरी से शुरु होने से कम प्रवेश हुए लेकिन अगले वर्ष नए सत्र में अच्छी संख्या में प्रवेश होने की उम्मीद हैं।
डॉ. हरिशंकर प्रजापति, प्राचार्य, संस्कृत महाविद्यालय, गहलोद
साथ ही जिले के ब्राह्मण कुल के विद्यार्थी जो कि संस्कृत में उच्च अध्ययन के लिए अजमेर, जयपुर, कोटा की ओर रूख करते थे। उब उन्हें भी जिले में ही अध्ययन का सुअवर मिल सकेगा।
डॉ. बद्रीनारायण शास्त्री, संस्कृत शिक्षा के विद्वान
Updated on:
02 Aug 2023 02:48 pm
Published on:
02 Aug 2023 02:46 pm
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