
Naresh Meena Thappad Kand: टोंक। देवली-उनियारा सीट पर 13 नवम्बर 2024 को विधानसभा उपचुनाव के मतदान के दिन हुए बवाल मामले को लेकर पहले संभागीय आयुक्त ने गत 17 जनवरी को सर्किट हाउस में सुनवाई कार्यक्रम रखा था। लेकिन, जब वहां समरावता के ग्रामीण नहीं आए तो वे शुक्रवार को गांव में पहुंचे। जहां उन्होंने ग्रामीणों से बात की।
इस दौरान समरावता के ग्रामीणों ने मतदान के दिन हुए घटनाक्रम से अवगत कराया। ग्रामीणों ने कहा कि महिलाएं घरों में थी। अचानक पथराव समेत लाठीचार्ज हो गया। कई घरों में तोड़फोड़ की गई। महिलाओं और बच्चों के भी चोट लगी थी। ऐसे में वे अब तक हादसे में सहमे हुए हैं। इस दौरान संभागीय आयुक्त अजमेर महेशचन्द्र शर्मा के साथ जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक भी मौजूद थे।
संभागीय आयुक्त अजमेर महेश चंद्र शर्मा के साथ जिला कलक्टर डॉ. सौम्या झा, पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान समेत अन्य अधिकारी भी थे। उनके गांव में पहुंचे ही लोग जमा हो गए। वे अधिकारियों के साथ कई घरों में पहुंचे। लोगों ने उन्हें अपनी पीड़ा बताई। इस दौरान संभागीय आयुक्त ने कहा कि सभी लोग अपने बयान लिखित में दे। इसके बाद वे अधिकारियों के साथ चले गए।
इधर, ग्रामीणों का कहना था कि संभागीय आयुक्त कुछ घरों का जायजा लिया है। ग्रामीणों में तोड़फोड़ के निशान उन्हें बताए हैं। अभी उन्होंने ज्यादा बात नहीं की। ना ही किसी के बयान लिए। ग्रामीणों का कहना है कि उनके आने की सूचना सभी को नहीं थी। ऐसे में कुछेक लोग उन्हें मिले हैं। जबकि पहले सूचना होती तो सभी ग्रामीण एक साथ उन्हें मिल जाते।
समरावता गांव के स्थान पर गत 17 जनवरी को सर्किट हाउस में जनसुनवाई करने की शिकायत राजस्थान भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रभारी मदनमोहन राजौर ने मुख्य सचिव से की थी। इसके बाद संभागीय आयुक्त गांव पहुंचे। मदन मोहन ने बताया कि अभी भी ग्रामीणों से बयान नहीं लिए गए हैं। जबकि मकानों को ही देखा गया है।
गत 17 जनवरी को समरावता मामले में पीड़ितों की सुनवाई के लिए संभागीय आयुक्त महेशचंद्र शर्मा टोंक आए थे। उन्होंने सुनवाई कार्यक्रम सर्किट हाउस में रखा था। लेकिन समरावता गांव के लोग नहीं आए थे। ऐसे में संभागीय आयुक्त तब अधिकारियों से ही बातचीत कर चले गए थे।
मामले में ग्रामीणों का कहना था कि विधानसभा उपचुनाव में मतदान के दिन जो बवाल हुआ उसकी जांच के लिए प्रदेश के मंत्री, कई अधिकारी समेत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम आ चुकी है। ऐसे में संभागीय आयुक्त को भी गांव में ही प्रकरण की सुनवाई करनी चाहिए था। लेकिन उन्होंने सुनवाई का स्थान टोंक में रखा था। ऐसे में वे टोंक नहीं आए थे।
Published on:
25 Jan 2025 12:01 pm
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