
सरकारी नौकरी (फाइल फोटो- पत्रिका)
Sog Investigation In Tonk Teacher Case: सरकारी नौकरियों में फर्जी डिग्रियों के सहारे घुसपैठ करने वालों के खिलाफ एसओजी लगातार एक्शर ले रही है। ऐसा ही एक मामला टोंक से सामने आया है। टोंक जिले के देवपुरा खजा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल को सेवा से हटा दिया गया है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परशुराम धानका ने एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर उनका नियुक्ति आदेश ही निरस्त कर दिया। जबकि छह दिन बाद यानी इस महीने के अंत में वे रिटायर हो रहे थे और परिवार में बड़ा आयोजन करने की तैयारी चल रही थी।
श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल पर आरोप था कि उन्होंने वर्ष 1993 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय से जारी बताई गई फर्जी बीएड डिग्री के सहारे नौकरी हासिल की थी। अब वे इसी माह के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन रिटायरमेंट से पहले ही उनका पर्दाफाश हो गया। मामला तब उजागर हुआ जब किसी अज्ञात व्यक्ति ने श्रीकृष्ण चन्द्र जैकवाल की फर्जी डिग्री के जरिए नौकरी पाने की शिकायत एसओजी को की। जांच के दौरान एसओजी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से संपर्क कर डिग्री की पुष्टि मांगी। 10 सितंबर को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने साफ किया कि श्रीकृष्ण द्वारा प्रस्तुत अंकतालिका और डिग्री विश्वविद्यालय द्वारा जारी ही नहीं की गई थी।
जिला परिषद ने आरोपी शिक्षक को 18 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा था। लेकिन आरोपी बीमारी का हवाला देकर स्वयं नहीं पहुंचे और अपने बेटे को भेजा। बेटे ने 1994 की एक सत्यापन रिपोर्ट और प्रमाण पत्र भी पेश किए, जो जांच में फर्जी निकले। इस पूरे मामले के बाद अब जिला परिषद बड़ा एक्शन लेने की तैयारी कर रहा है। उल्लेखनीय है कि बांरा जिले के भी एक शिक्षक दम्पत्ति का इसी तरह का मामला चर्चा में है। दम्पत्ति सरकारी शिक्षक थे और एक ही गांव में नौकरी थी। दोनों ने अपनी जगह पर सालों तक तीन से पांच हजार रुपए में शिक्षक नियुक्त कर दिए। किसी को पता ही नहीं चला। अब रिटायरमेंट के नजदीक आने पर मामला खुला है और दोनों से करीब नौ करोड़ से भी ज्यादा वसूली निकाली गई है। कानूनी कार्रवाई अलग से प्रक्रियाधीन है।
Published on:
26 Sept 2025 12:52 pm
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