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बीसलपुर बांध की दायीं मुख्य नहर में दौड़ा पानी, 238 गांव व कस्बों की जमीन में होगी सिंचाई

बीसलपुर बांध परियोजना की ओर से गुरुवार शाम पूजा के साथ दायीं मुख्य नहर के हैड रेग्यूलेटर के गेट खोलकर सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया।

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बीसलपुर बांध की दायीं मुख्य नहर में दौड़ा पानी, 238 गांव व कस्बों की जमीन में होगी सिंचाई

बीसलपुर बांध की दायीं मुख्य नहर में दौड़ा पानी, 238 गांव व कस्बों की जमीन में होगी सिंचाई

राजमहल. बीसलपुर बांध परियोजना की ओर से गुरुवार शाम पूजा के साथ दायीं मुख्य नहर के हैड रेग्यूलेटर के गेट खोलकर सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया। पानी जैसे-जैसे आगे बढ़ा किसानों के चैहरों पर खुशी छा गई। कुल 735 क्यूसेक क्षमता वाली दायीं मुख्य नहर में 100 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।

बाद में 200 क्यूसेक व उसके बाद धीरे-धीरे बढ़़ाकर पूरी क्षमता के साथ पानी छोड़ा जाएगा। बांध परियोजना के सहायक अभियंता ब्रह्मानन्द बैरवा ने बताया कि दायीं मुख्य नहर की कुल लम्बाई 51.64 किलामीटर है। कुल 635 किलामीटर के क्षेत्र में फैले दायीं मुख्य नहरी तंत्र में देवली, उनियारा, टोंक व दूनी तहसीलों के लगभग 238 गांव व कस्बों की 69 हजार 393 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है।

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नहर में छोड़ा गया पानी 36 घंटों तक टेल तक पहुंचे के प्रयास किए जा रहे हैं। बांध की दोनों नहरों से 81 हजार 800 हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है। इससे जिले में लगभग एक हजार करोड़ रुपए का उत्पादन होगा। इसी प्रकार गुरुवार सुबह बांध की बायीं मुख्य नहर में पूरी क्षमता के साथ 110 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया। जो 27 किलोमीटर की दूरी तय कर साऊथ केनाल तक पहुंच चुका है।


कब कब मिला नहरों का पानी
बांध परियोजना के सहायक अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि बांध बनकर तैयार होने के बाद सबसे पहले 2004 में दायीं मुख्य नहर में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया था। बायीं मुख्य नहर तैयार होने के बाद 2005 में एक साथ दोनों नहरों में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा था।

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इसके बाद 2006, 2007, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016 व 2017 तथा 2019 में इस बार नहरों में पानी छोड़ा गया है। इसबार बांध का गेज पूर्ण जल भराव 315.50 आर एल मीटर होने के कारण किसानों को सिंचाई के लिए आरक्षित कुल 8 टीएमसी पानी दिया जाएगा। पेयजल के लिए 16.2 टीएमसी पानी आरक्षित है। वाष्पिकरण व अन्य खर्च में 8.95 टीएमसी माना गया है।


परियोजना के अधिशासी अभियंता आर सी कटारा ने बताया कि नहर में छोड़ा गया पानी पहले टेल तक पहुंचाया जाएगा। उसके बाद टेल से हैड की ओर माईनरों से सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा, जिससे अंतिम छोर के किसानों तक पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंच सके। नहर का पानी टेल तक पहुंचने के बाद सबसे पहले अंतिम छोर के माईनर को खोलने की शुरुआत की जाएगी।

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