
Rajasthan News: उदयपुर संभाग के सबसे बड़े महाराणा भूपाल चिकित्सालय के ट्रोमा वार्ड के एक्स-रे रूम में विस्फोटक से भरा बैग मिलने पर एकबारगी खलबली मच गई। बैग में पांच डेटोनेटर गुल्ले और छड़ियां थी, अगर विस्फोट हो जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। विस्फोटक से भरे इस बैग की अस्पताल के अंदर तक पहुंचने में यहां सुरक्षा व जांच व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए। इधर, जांच पता चला कि यह बैग दुर्घटना में घायल भर्ती एक मरीज का है, पूछताछ में मरीज ने बताया कि दुर्घटना में उसके एक साथी की मौत हो गई, यह बैग उसका था, घायलावस्था में यहां भर्ती करवाने के दौरान बैग यहां आ गया। हाथीपोल थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
अस्पताल के ट्रोमा वार्ड के एक्स-रे रूम में एक लाल रंग का बैग मिलने पर कार्मिकों ने जांच की तो विस्फोटक सामग्री मिली। जिसे देखते ही हाथ-पांव फूल गए। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन व पुलिस को जानकारी दी। इस बीच अस्पताल परिसर में अफरा तफरी का माहौल हो गया और लोग परिसर खाली करके बाहर निकल गए। सूचना पर हाथीपोल थाना पुलिस का जाप्ता मौके पर पहुंचा। पुलिस ने पड़ताल की तो बैैग में धौलपुर की एक फैक्ट्री में बने पांच गुल्ले व पांच छड़ियां और टोपी मिली। पुलिस ने बैग जब्त कर जांच शुरू की।
पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि यह बैग खोड़ी महुड़ी (परसाद) निवासी जगदीश लेकर आया है, जिसे दो दिसबर को दुर्घटनाग्रस्त होने पर यहां अस्थि रोग विभाग के तीसरे माले में आईसीयू में भर्ती करवाया था। एक्स-रे करवाने के दौरान यह बैग यही छूट गया। पुलिस ने जगदीश से पूछताछ की, उसने बताया कि वह और बारां परसाद निवासी प्रदीप मीणा दोनों साईंनाथ माइंस नाडोल पाली में काम करते हैं। उन्हीं के गांव का रणजीत मीणा जो दूसरी माइंस में काम करता है। तीनों एक दिसंबर को अपने घर जाने के लिए बाइक से निकले थे। बाइक रणजीत चला रहा था। रणजीत ने बैग जगदीश को दिया था। घटना वाले दिन तीन बजे के करीब देलवाड़ा रोड पर बाइक का संतुलन बिगडने से दुर्घटना हो गई। इसमें रणजीत की मौत हो गई। उसके शव को देलवाडा हॉस्पिटल में रखा गया। जगदीश का कहना था कि उसे और प्रदीप को उदयपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया। बैग एक्सरे. करते समय नीचे रखा था और वहीं रह गया।
पुलिस का कहना है कि मृतक रणजीत यह विस्फोटक कहां से लाया था और गांव में वह किस लिए ले जा रहा था, यह राज उसकी मौत के साथ ही दफन हो गया। पुलिस अब रणजीत के काम करने वाली फैक्ट्री से इसका पता लगाएगी। पुलिस का कहना है फैक्ट्री में विस्फोटक का रिकॉर्ड होगा, यह वहां से गायब हुआ तो पकड़ में क्यों नहीं आया। इसके अलावा घायल भर्ती युवकों से भी पूछताछ की जाएगी। इधर, पुलिस का मानना है माइंसों में काम करने वाले यह श्रमिक गांव में मछलियां मारने के लिए अक्सर विस्फोटक गुल्लो का उपयोग करते है, संभवत: मृतक भी इसी कारण ये फैक्ट्री से लेकर आया हो। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
एमबी चिकित्सालय में संभाग के अलावा पास के जिलों व एमपी के लोग इलाज करवाने आते हैं। रोज यहां पर 7 हजार की ओपीडी है, वहीं भर्ती मरीजों की संया तीन सौ पार है। इमरजेंसी, ओपीडी, ट्रोमा में आने वाले मरीजों, तीमारदारों व अन्य लोगों की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में घायलों के पहुंचने के दौरान ही अगर बैग की जांच हो जाती तो विस्फोटक वहीं पकड़ में आ जाता।
Published on:
05 Dec 2024 08:35 am
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