script

धन के लालच में बैंक की आंखों में धूल झोंकी…सरकारी कार्मिक होने के बावजूद कर दिया आवेदन

locationउदयपुरPublished: Oct 16, 2019 09:12:16 pm

Submitted by:

madhulika singh

किसानों को दिए जाने वाले फसली ऋण में इन सरकारी कर्मचारियों की ओर से आवेदन करने का गंभीर मामला सामने आया है

chit fund fraud cases by credit cooperative societies in rajasthan

सहकारिता विभाग के अफसरों ने ही चिटफंड कंपनियों अफसरों से उठा लिए लोन, ऋणी लोगों का नहीं किया भौतिक सत्यापन

भुवनेश पंड्या/उदयपुर. धन के लालच ने सरकारी कर्मचारियों को इतना गिरा दिया कि इन्होंने सरकार को धोखा देने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार फंस गए। किसानों को दिए जाने वाले फसली ऋण में इन सरकारी कर्मचारियों की ओर से आवेदन करने का गंभीर मामला सामने आया है। बैंकों ने आनन-फानन में राशि तो जारी कर दी, लेकिन बैंकों की ओर से झूठ पकड़े जाने के बाद इन कार्मिकों को राशि लौटानी पड़ी। बैंक की सजगता से सभी जिलों के इन को-ऑपरेटिव बैंकों को 2176 लाख रुपए का फटका लगते-लगते बच गया।

7893 कर्मचारियों ने किया लाभ उठाने का प्रयास

प्रदेश के 7893 सरकारी कर्मचारियों ने को-ऑपरेटिव बैंकों में ऋण माफी योजना के तहत लाभ उठाने का प्रयास किया। इसमें उदयपुर, अलवर, अजमेर, पाली, सवाई माधोपुर, जोधपुर, झालावाड़, जैसलमेर, चित्तौडगढ़़ और भीलवाड़ा के कर्मचारी ईमानदार निकले। यानी इन जिलों के कर्मचारियों ने यह गफलत करने का प्रयास नहीं किया। वहीं उदयपुर संभाग के डूंगरपुर जिले के सर्वाधिक 1790 कार्मिकों ने 512.06 लाख रुपए तो भरतपुर के 1129 कार्मिकों ने 338.45 लाख रुपए स्वीकृत करवा लिए।
वर्ष 2018 में जारी हुई थी ऋण माफी योजना


ऋण माफ ी योजना अप्रेल 2018 को लागू हुई, लेकिन योजनान्तर्गत अपात्र व्यक्तियों की सूची 25 अप्रेल, 2018 व 1 जून, 2018 को जारी हो पाई। 7893 सरकारी कार्मिकों के ऋ ण प्रकरणों का संधारण ऋ ण माफी पोर्टल कर लिया गया था। 22 जनवरी, 2019 व 12 जुलाई, 2019 को जारी आदेश में अपात्र व्यक्तियों के ऋण माफी की प्रविष्टियों को निरस्त करने के आदेश जारी किए क्योंकि अपात्र व्यक्तियों के ऋ ण खातों में प्रक्रियागत कारणों से हुई प्रविष्टियों को निरस्त कर दिए गए।

इनका कहना है

फसली ऋण माफी योजना का लाभ उन्हें ही मिलता है, जो इसमें पात्र होते हैं। यदि किसी ने गलत तरीके से लेने का प्रयास किया है तो जांच में उसे रोका जाना ही था, हालांकि उदयपुर जिले में इस तरह का कोई मामला नहीं है।

आलोक चौधरी, एमडी, को-ऑपरेटिव बैंक, उदयपुर

ट्रेंडिंग वीडियो