
उदयपुर . राजस्थान के बाहर से माल मंगाने या भेजने को लेकर बिल-बिल्टी जैसे दस्तावेजों के साथ ई-वे बिल फॉर्म भी लगाना जरूरी होगा। राज्य सरकार ने बुधवार को पूरे प्रदेश में ई-वे बिल लागू कर दिया है। सरकार ने दो दिन पहले इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। इस बिल को राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 20 दिसम्बर से लागू किया है तथा जीएसटी कर प्रणाली में यह व्यवस्था आगे संपूर्ण देश में लागू की जाएगी। राज्य सरकार ने अधिसूचना में अधिसूचित 33 कर योग्य वस्तुओं के 50 हजार रुपए से अधिक कीमत के होने पर ऐसे माल को राज्य के बाहर से मंगाए जाने पर अथवा राज्य से बाहर भेजने की स्थिति में (माल के आयात-निर्यात) बिल, बिल्टी जैसे आवश्यक दस्तावेजों के साथ-साथ ई-वे बिल फॉर्म भी संलग्न करना अनिवार्य होगा।
ई-वे बिल, यानी यह
ई-वे बिल फॉर्म विक्रेता व ट्रांसपोर्टर में से कोई भी जारी कर सकता है। वैट अधिनियम के तहत केवल खरीदार ही वैट-47 फॉर्म जारी कर सकता था। क्रेता-विक्रेता के अपंजीकृत होने की स्थिति में भी ई-वे बिल फॉर्म जारी करने की सुविधा दी गई है। अधिसूचित 33 कर योग्य वस्तुओं के 50 हजार रुपए से अधिक कीमत के माल के प्रदेश से आयात-निर्यात पर ई-वे फॉर्म भरना होगा।
प्रावधान : पार्ट-अ व्यवसायी और ब टांसपोर्टर भरेगा
ई-वे बिल फॉर्म में पार्ट-अ व पार्ट-ब दो भागो में भरे जाने के प्रावधान है। पार्ट-अ व्यवसायी द्वारा भरा जाएगा जिसमें फर्म का पंजीयन नम्बर, माल विगत का एच.एस.एन. कोड़, बिल क्रमांक, माल कीमत, कर दर जैसी सूचनाएं भरी जाएगी। पार्ट-ब में ट्रांसपोर्टर को वाहन संख्या की जानकारी देने की अनिवार्यता रखी गई है। ई-वे बिल व्यवस्था में ट्रांसपोटर्स को भी पंजीकरण कराते हुए अपनी कम्पनी की ट्रांसपोर्ट आई.डी. बनानी होगी। व्यवहारी द्वारा पार्ट-अ की आवश्यक सूचनाएं भरने के पश्चात् ऑनलाईन ही अपने ट्रांसपोर्टर की आई.डी पर फॉर्म को स्थानान्तरित कर देगा। ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल की मूल प्रति दस्तावेज के साथ संलग्न करना अनिवार्य नहीं है। केवल ई-वे बिल क्रमांक ही बिल-बिल्टी पर अंकित करना ही पर्याप्त होगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जरूरी, ऐसे कर सकते हैं यह काम
-ई-वे बिल फॉर्म जारी करने के लिए प्रत्येक व्यवहारी को ऑन-लाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। द्धह्लह्लश्च://द्ग2ड्ड4ड्ढद्बद्यद्य.ठ्ठद्बष्.द्बठ्ठ वेबसाईट पर एनरोलमेन्ट करवाने की सुविधा प्रदान की है, एनरोलमेन्ट के पश्चात् ही वह व्यवहारी/ट्रांसपोर्टर ई-वे बिल जारी कर सकेगा।
-जीएसटी में पंजीकृत व्यवहारी को अपने जीएसटी नंबर की सहायता से इस पोर्टल पर पंजीकृत होना होगा, वहीं ट्रांसपोर्टर एवं अपंजीकृत व्यवहारी अपने पैन नम्बर तथा आधार नम्बर की सहायता से पंजीकरण करवाना होगा।
- पोर्टल पर पंजीकरण की यह प्रक्रिया प्रारम्भ में केवल एक बार ही करने की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया से प्राप्त आई.डी. का प्रयोग उपयोगकर्ता आगे के समस्त संव्यवहारों में कर सकेगा।
- जिला मुख्यालय व स्वतंत्र मुख्यालय स्तर कार्यालय में व्यवहारियों की मदद के लिए व्यवहारी सुविधा केन्द्र भी स्थापित किए है।
- अधिसूचित वस्तुओं के एच.एस.एन. कोड़ विभाग की वेबसाईट पर उपलब्ध है।
अभी समझाना और सिखाना है मकसद
इस बिल को 15 जनवरी 2018 तक राज्य में प्रायोगिक रूप से समझाइश एवं प्रशिक्षण के उद्देश्य से लागू किया जा रहा है। देश में 16 जनवरी से ई-वे बिल व्यवस्था के लागू होने से पूर्व राज्य के व्यवसायियों को इस व्यवस्था से रू-ब-रू एवं अभ्यस्थ होने का अवसर दिया गया है।
प्रज्ञा केवलरमानी, संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) वाणिज्य कर विभाग, उदयपुर संभाग
Updated on:
21 Dec 2017 02:08 am
Published on:
21 Dec 2017 02:03 am
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