शिविर के बहाने गोरखधंधा!
कस्बे में कई निजी क्लीनिक और लैब संचालित हैं। मरीजों की कम संख्या और बेगारी के बीच कुछ संचालकों की ओर से अक्सर नि:शुल्क परामर्श चिकित्सा शिविर के बहाने ग्रामीणों को शिविर तक आने की लालच दी जाती है। परामर्श के नाम पर चेहरा देखकर मरीज से शुल्क लिया जाता है। फिर सेवाएं देने वाले चिकित्सक आयोजक के इशारे पर ग्रामीणों को महंगी दवा और जांच के लिए प्रेरित करते हैं।
इधर, खास बात सामने आई कि रविवार को आयोजित शिविर को लेकर चिकित्सा विभाग उदयपुर की ओर से किसी तरह की अनुमति नहीं दी गई थी। शिविर में शामिल ग्रामीण वीरेंद्र तेली, रतनलाल तेली व अन्य ने आरोप लगाया कि नि:शुल्क शिविर में दवाइयों व जांच के नाम पर गरीब लोगों से मनमानी वसूली की जा रही थी।
कस्बे में कई निजी क्लीनिक और लैब संचालित हैं। मरीजों की कम संख्या और बेगारी के बीच कुछ संचालकों की ओर से अक्सर नि:शुल्क परामर्श चिकित्सा शिविर के बहाने ग्रामीणों को शिविर तक आने की लालच दी जाती है। परामर्श के नाम पर चेहरा देखकर मरीज से शुल्क लिया जाता है। फिर सेवाएं देने वाले चिकित्सक आयोजक के इशारे पर ग्रामीणों को महंगी दवा और जांच के लिए प्रेरित करते हैं।
इधर, खास बात सामने आई कि रविवार को आयोजित शिविर को लेकर चिकित्सा विभाग उदयपुर की ओर से किसी तरह की अनुमति नहीं दी गई थी। शिविर में शामिल ग्रामीण वीरेंद्र तेली, रतनलाल तेली व अन्य ने आरोप लगाया कि नि:शुल्क शिविर में दवाइयों व जांच के नाम पर गरीब लोगों से मनमानी वसूली की जा रही थी।
नहीं दी शिविर की स्वीकृति
पहले तो गोगुंदा में किसी तरह का चिकित्सा शिविर लगाने की अनुमति विभाग स्तर पर नहीं दी गई। परामर्श के नाम पर महंगी दवाइयां और जांचें लिखने की शिकायतें मिली हैं। शिविर संबंधित शिकायतों की जांच को लेकर क्लीनिक संचालक की डिग्री और अन्य जांचों को लेकर कमेटी बनाई है। game of thugs from the poor गड़बड़ी पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ, उदयपुर
पहले तो गोगुंदा में किसी तरह का चिकित्सा शिविर लगाने की अनुमति विभाग स्तर पर नहीं दी गई। परामर्श के नाम पर महंगी दवाइयां और जांचें लिखने की शिकायतें मिली हैं। शिविर संबंधित शिकायतों की जांच को लेकर क्लीनिक संचालक की डिग्री और अन्य जांचों को लेकर कमेटी बनाई है। game of thugs from the poor गड़बड़ी पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ, उदयपुर