आचार्यश्री ने कहा कि जो गुरु के इशारे मात्र से समझ जाए उसे कहने की आवश्यकता ही नहीं पड़े यही तो शिष्य का विनय भाव होता है। परिवार हो या संघ सबमें विनय का भाव होना जरूरी है। एक वृक्ष पर जितने फल होंगे, वह उतना ही झुुका हुआ मिलेगा, हम कुएं से बाल्टी भरकर पानी निकालते हैं, लेकिन कुएं में जाकर बाल्टी को भी झुकना पड़ता है तब ही उसे जल की प्राप्ति होती है। अगर आपमें कुछ भी प्राप्ति की अभिलाषा है तो बिना विनय के भाव किये उसे हासिल नहीं किया जा सकता है। ऐसे कई धन- दौलत से समृद्ध परिवार भी हैं जिनके आलीशान कोठियां है घर में चार मेम्बर है माता, पिता, बेआ ओर बहू। एक ही छत के नीचे रहते हैं, लेकिन बोलचाल बन्द है। कोर्ट में केस चल रहे हैं। ऐसा क्यों क्योंकि उनमें विनय भाव नहीं होकर अहंकार के भाव है। विनय झुकना सिखाता है लेकिन उन्हें झुकना आता ही नहीं सिर्फ अहंकार में जीते हैं इसलिए उनकी कटुता खत्म होती ही नहीं है। आज इंटरनेट का जामाना है। सभी मोबाईल में व्यस्त रहते हैं। न उन्हें कोई संस्कार देने वाला है और न कोई धर्म संस्कार और विनय भाव सिखाने वाला है इसीलिए पारीवारिक परिस्थियां भी बिल्कुल ही विपरीत बनती जा रही है। इसे रोकना भी हम सभी की जिम्मेदारी है। माता पिता को चाहिये कि वह बच्चों को संस्कार दें उन्हें धर्म सिखाएं।
16 दिवसीय विधान आज से हुमड़ भवन में 16 दिवसीय सर्व दुख दारिद्र निवारक विधान का अयोजन सोमवार को शुरू होगा। सकल दिगम्बर जैन समाज अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि क्षुल्लक सुमित्रसागर के सानिध्य में होने वाला विधान 6 नवमबर तक चलेगा। महामंत्री सुरेश कुमार पदमावत ने बताया कि विधान में समस्त दुखों के निवारण के लिए आधि-व्याधि, रोगों की शांति के लिए, ग्रहों नक्षत्रों का निवारण करने के लिए लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विधान का आयोजन किया जाएगा। धर्मसभा में सुमित्रसागर ने कहा कि भगवान की भक्ति करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं। जो कर्म कठोर तपस्या करने से भी शांत नहीं होते वह दुख कर्म भगवान की भक्ति करने से नष्ट हो जाते हैं। भगवान की भक्ति से बढ़कर और कोई भी श्रेष्ठ कार्य नहीं है।
भक्तामर स्तोत्र पाठ व प्रभु भक्ति अशोक नगर स्थित रोशन-बापू विला में रविवार सुबह भक्तामर स्तोत्र पाठ एवं प्रभु भक्ति महोत्सव हुआ। आयोजक रोशनलाल चित्तौड़ा ने बताया कि गायक विनीत जैन के भजनों पर भक्त खूब झूमे। धुलेवा नगरी में म्हारो केसरियो बिराजे…, मेरे सर पर रख दो दादा…, ओ गुरु सा थारो भक्त बनु में…, झीणो-झीणो उड़े रे गुलाल…, हम जैन कुल में जन्मे… आदि भजनों की प्रस्तुतियां हुई। समापन णमोकार महामंत्र जाप एवं भक्तामर स्तोत्र पाठ हुआ।