डॉ. चौधरी ने बताया कि झोलाछाप को लेकर हुई कार्रवाई के बाद जमा ग्रामीणों ने प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध किया। लोगों ने क्षेत्र में चिकित्सकों की कमी एवं सुविधाओं को लेकर सवाल खड़े किए। डॉ. चौधरी ने स्वयं का मोबाइल नंबर देकर उपखण्ड मुख्यालय पर सुविधाएं प्राप्त करने का आश्वासन देकर खुद का बचाव किया।
बता दें कि क्षेत्र संचालित झोलाछापों की दुकानें आज की नहीं हैं। बल्कि झोलाछाप यहां पर 15 वर्ष से सेवाएं देते हुए स्थानीय ‘नागरिकताÓ भी प्राप्त कर चुके हैं। गत 10 नवंबर को पहली बार एसडीएम ने यहां कार्रवाई का साहस दिखाया और झोलाछापों के खिलाफ कार्रवाई की। jholachhap doctor लेकिन, 10 नवम्बर को जयपुर ट्रेनिंग की सूचना के साथ ही झोलाछाप एकबार फिर सक्रिय हो गए।