लोगों के स्वाथ्स्य से खिलवाड़ करने वाले बंगाली चिकित्सकों और झोलाछापों में प्रशासनिक भय बना रहना चाहिए। ताकि गरीब स्वास्थ्य से होने वाले खिलवाड़ को रोका जा सके। लेकिन, यह प्रक्रिया केवल अभियान के तौर पर सीमित नहीं होनी चाहिए। सप्ताह या महीने में एक बार विभाग को भी ऐसे मामलों में पुलिस की मदद लेकर दबिशें देनी चाहिए। ताकि कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ रही इस विरादरी पर भय से अंकुश लगाया जा सके। कार्रवाई से पहले विभाग को कार्रवाई स्थल का नाम भी गोपनीय रखने की आदत डालनी चाहिए। ताकि मूल अपराधी कानूनी शिकंजे से बच नहीं सके।
गींगला पसं. इधर, मेवल क्षेत्र में भी प्रशासनिक निर्देश की पालना पर दूसरे दिन बुधवार को चिकित्सा विभाग के दल ने पुलिस की मदद से झोलाछापों के यहां छापेमारी की। गींगला, कडूणी और ईड़ाणा क्षेत्र में संचालित अवैध क्लीनिकों के संचालक यहां भी कार्रवाई से पहले भी मौका छोड़कर भाग निकले। विषम परिस्थितियों में चिकित्सा दल ने क्लीनिक सीजकर नोटिस चस्पा करने का कदम उठाया। इससे पहले गींगला सीएचसी प्रभारी डॉ. राहुल त्यागी, सराड़ी पीएचसी प्रभारी डॉ. भरत गुप्ता, हेड कांस्टेबल गिरिजाशंकर चौबीसा, कांस्टेबल ओमप्रकाश ने संबंधित इलाकों में छापेमारी की। बता दें कि इससे पहले भी टीम ने करावली, ओरवाडिय़ा और माकड़सीमा गांवों में मंगलवार को दबिशें दी थी।
चिकित्सा दल ने कई क्षेत्रों में दबिशें दी हैं। झोलाछाप कार्रवाई में कुछ क्लीनिक सीज किए गए। इनके बाहर नोटिस चस्पा कर समयाविधि में आवश्यक उपचार संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा गया है। jholachhap doctors अगर, ऐसा नहीं होता है तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. राहुल त्यागी, प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी गींगला
गींगला