READ MORE : उदयपुर में निजी स्कूलों को लगी अब ठंड, ये है इसके पीछे की वजह … न्यायालय ने सुनवाई के दौरान माना कि खनि अभियंता वर्मा को उस समय पता था कि आरोपी अशोक सिंघवी एवं संजय सेठी भेड़ गांव में सस्ते दाम पर लाइम स्टोन खनि युक्त जमीन क्रय कर अनुचित लाभ कमाना चाहते हैं। आरोपी सिंघवी ने लाइम स्टोन की प्रकृति बदलकर अपने पद का दुरुपयोग स्वयं के लाभ के लिए किया। इस अनैतिक कार्य का पूर्ण ज्ञान होने पर भी अभियंता मनीष वर्मा ने भरपूर सहयोग किया था। वर्मा पर आरोप है कि उसने लाइन स्टोन जमीन का पता लगाने एवं जमीन की पूरी-पूरी जानकारी होने के बावजूद रजिस्ट्री मूल्य कम बता कर राजकीय राजस्व (स्टाम्प ड्यूटी) की चोरी करने में पूर्ण सहयोग किया। कबीर नाम के एक व्यक्ति से वार्ता के दौरान भेड़ गांव में सिंघवी व अन्य के लिए खरीदी गई जमीन से स्वयं व कबीर को होने वाले मुनाफे की एवज में एक लीज देने का षड़्यंत्र में शामिल होने के तथ्य भी उजागर हुए हैं। एसीबी ने आरोपी वर्मा व कबीर के मध्य बातचीत के अंश में भी उपयुक्त जमीन की किस्म को परिवर्तित करने की फाइल पर मंत्री एवं सचिव अशोक सिंघवी के मध्य विरोधाभास की स्थिति में मंत्री के किसी आदमी को प्रलोभन देकर फाइल निकालने का प्रयास की बात उजागर हुई। उक्त तथ्य में वर्मा के प्रथमदृष्टया आपराधिक षड्य़ंत्र में शामिल होकर रिश्वत लेकर दुष्प्रेरित करने की पुष्टि होती है। फाइल में आरोपियों द्वारा आपराधिक नीयत से राज्य सरकार की अमूल्य खनिज संपदा को स्वयं के निजी लाभ के लिए खनिज नीति में परिवर्तन कर षड्य़ंत्र पूर्वक खरीदने के बाबत तथ्यों की स्पष्ट पुष्टि होती है।