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उदयपुर में हुआ गजब ! बिल्ली को सौंप दी गई दूध की रखवाली, जानें पूरा मामला

locationउदयपुरPublished: Jan 11, 2019 12:13:51 pm

– बिल्ली को ही दूध की रखवाली

मानवेन्द्र सिंह/उदयपुर . किसानों की कर्जमाफी में गड़बडिय़ां सामने लाने के लिए उदयपुर-राजसमंद व धरियावद में बिल्ली को ही दूध की रखवाली सौंप दी गई है। व्यवस्थापक के जरिए जिन अधिकारियों ने किसानों के ऋण स्वीकृत किए, उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंप दिया। 17 टीमें बनाई गई हैं, जिसमें बैंक मैनेजर व ऋण पर्यवेक्षक शामिल हैं जबकि पूर्व में इन्हीं के हस्ताक्षर से ऋण वितरित किए गए थे। ऐसे में जांच की प्रमाणिकता संदेह के घेरे में हैं। सहकारिता विभाग ने बुधवार से हर समिति के बाहर ऋण माफी लेने वाले काश्तकारों की सूची चस्पा करने के निर्देश दिए थे लेकिन गुरुवार को जिले की अधिकतर सहकारी समितियों के बाहर सूची चस्पा नहीं की गई। सूत्रों की मानें तो इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में संचालित कई सहकारी समितियों में लोन देने और माफ करने के खेल में भारी गड़बड़ी सामने आने से इनकार नहीं किया जा सकता है। अनपढ़ और गरीब आदिवासियों को यह तक पता नहीं है कि सहकारी समितियों में ऋण कब और कैसे मिलता है। कई जगह व्यवस्थापक, अध्यक्ष और सह व्यवस्थापक एक ही परिवार के बन बैठे हैं जो मनमाफिक बोर्ड बनाकर हित साध रहे हैं। उदयपुर सेन्ट्रल कॉ-ऑपरेटिव बैंक की ओर से उदयपुर की 171, राजसमंद की 91 और प्रतापगढ़ जिले के धरियावद में 24 ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं वृहद बहु उद्देश्यीय सहकारी समितियों में जांच के लिए 17 जनों की टीम गठित की है, जिसमें संबंधित सहकारी समितियों के बैंक मैनेजर व ऋण पर्यवेक्षक शामिल हैं। जिले के सलूम्बर, सराड़ा, झाड़ोल, कोटड़ा, गिर्वा और प्रतापगढ़ के धरियावद व लसाडिय़ा क्षेत्र की समितियों में बारीकी से जांच हो तो बड़े घपले उजागर हो सकते हैं। ऐसे ही मामले राजसमंद जिले में भी है।
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लेम्पस का ताला तक नहीं खुलता
पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि शहर से सटे देबारी गांव में लैम्पस कार्यालय पुराने भवन में संचालित है जिसका ताला कब खुलता है किसी को पता नहीं। सूचियां चस्पा कर देने जैसे विभागीय दावों की पोल खुलती नजर आई क्योंकि गुरुवार शाम तक ऋणमाफी किसानों की सूची तक चस्पा नहीं की गई। गांव में कइयों को तो लैम्पस तक की जानकारी नहीं है। मजेदार बात यह है कि इस लैम्पस में पिता व्यवस्थापक है तो पुत्र सह-व्यवस्थापक पद पर कार्यरत होकर वर्षों से स्वयं के निजी भवन में खानापूर्ति के लिए कार्यालय चला रहे है।
जांच की जा रही है। लोन लेजर से मिलान कर रहे हैं यदि कोई गड़बड़ी सामने आई तो बख्शेंगे नहीं। सूचियां चस्पा कर दी गई है, अगर किसी ने नहीं की है तो जवाब मांगेगे। किसान अपनी आपत्ति दर्ज करवाएं। विभागीय निर्देश के चलते ही कमेटियों का गठन किया गया है और लसाडिय़ा, कोटड़ा, झाड़ोल व धरियावद में स्पेशल टीम जांच के लिए भेजी है। — अश्विनी कुमार वशिष्ठ, प्रबंध निदेशक एवं अतिरिक्त रजिस्ट्रार, उदयपुर
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