READ MORE : उदयपुर में परिवहन विभाग का बड़ा निर्णय, अब सिर्फ ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं, इनकी भी होगी चेंकिंग… लेम्पस का ताला तक नहीं खुलता
पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि शहर से सटे देबारी गांव में लैम्पस कार्यालय पुराने भवन में संचालित है जिसका ताला कब खुलता है किसी को पता नहीं। सूचियां चस्पा कर देने जैसे विभागीय दावों की पोल खुलती नजर आई क्योंकि गुरुवार शाम तक ऋणमाफी किसानों की सूची तक चस्पा नहीं की गई। गांव में कइयों को तो लैम्पस तक की जानकारी नहीं है। मजेदार बात यह है कि इस लैम्पस में पिता व्यवस्थापक है तो पुत्र सह-व्यवस्थापक पद पर कार्यरत होकर वर्षों से स्वयं के निजी भवन में खानापूर्ति के लिए कार्यालय चला रहे है।
पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि शहर से सटे देबारी गांव में लैम्पस कार्यालय पुराने भवन में संचालित है जिसका ताला कब खुलता है किसी को पता नहीं। सूचियां चस्पा कर देने जैसे विभागीय दावों की पोल खुलती नजर आई क्योंकि गुरुवार शाम तक ऋणमाफी किसानों की सूची तक चस्पा नहीं की गई। गांव में कइयों को तो लैम्पस तक की जानकारी नहीं है। मजेदार बात यह है कि इस लैम्पस में पिता व्यवस्थापक है तो पुत्र सह-व्यवस्थापक पद पर कार्यरत होकर वर्षों से स्वयं के निजी भवन में खानापूर्ति के लिए कार्यालय चला रहे है।
जांच की जा रही है। लोन लेजर से मिलान कर रहे हैं यदि कोई गड़बड़ी सामने आई तो बख्शेंगे नहीं। सूचियां चस्पा कर दी गई है, अगर किसी ने नहीं की है तो जवाब मांगेगे। किसान अपनी आपत्ति दर्ज करवाएं। विभागीय निर्देश के चलते ही कमेटियों का गठन किया गया है और लसाडिय़ा, कोटड़ा, झाड़ोल व धरियावद में स्पेशल टीम जांच के लिए भेजी है। — अश्विनी कुमार वशिष्ठ, प्रबंध निदेशक एवं अतिरिक्त रजिस्ट्रार, उदयपुर