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कोटड़ा थाने का मामला: आवास का सपना अधूरा, खाते से उठी किस्तें, ये तीन मामले दे रहे गवाही

कोटड़ा. एक ओर आवास योजनाओं के तहत जरुरतमंदों को पक्के मकान बनाने के लिए मदद दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर गरीबों का हक छीना जा रहा है।

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कोटड़ा. एक ओर प्रधानमंत्री आवास, सीएम आवास व इन्दिरा आवास योजनाओं के तहत जरुरतमंदों को पक्के मकान बनाने के लिए मदद दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर गरीबों का हक छीना जा रहा है। अनपढ़ लोगों के खातों से किस्त की राशि ही नहीं, मानो उनके सिर से सहायता का साया ही छीना जा रहा है।
उपखण्ड की बड़ली ग्राम पंचायत के गउपीपला में तीन अलग-अलग मामलों में सीएम आवास के लिए मिली राशि हड़पने की जानकारी मिली है। दो मामलों में पीडितों का कहना है कि उनके खातों में जालसाजी कर किस्त उठा ली गई। एक पीडि़त मंगलवार को कोटड़ा थाने पहुंचा और खाते से रकम उठाए जाने की अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दी।

पहला मामला : किस्त हड़पी

गउपीपला निवासी पीडि़त छगनलाल पुत्र रामसा पारगी ने पंजाब नेशनल बैंक में बीसी सोहनलाल के माध्यम से खाता खुलवाने के लिए आवेदन किया था। नाम आवास की सूची में आने से लाभार्थी के खाते 18 अक्टूबर को पहली किस्त 30 हजार रुपए जमा हुई। लाभार्थी ने मकान निर्माण की तैयारी शुरू कर दी। एक सप्ताह बाद लाभार्थी खाते से रकम लेने पहुंचा तो पता चला की, खाते में महज 50 रुपए है। पूछताछ करने पर पता चला कि उसके खाते से एटीएम के माध्यम से 24 अक्टूबर को गुजरात के खेडब्रह्मा के एटीएम से 25 हजार रुपए निकाले गए, वहीं दूसरी राशि दो दिन बाद ही कोटड़ा एटीएम से 5 हजार रुपए निकाली गई। पीडि़त ने आरोप लगाया कि उपभोक्ताओं के पास आने वाले सभी एटीएम कार्ड पहले बैंक बीसी के पास पंहुचते हैं। बीसी खाताधारकों को वितरीत करता है। बीसी की ओर से राशि निकालने की आशंका पर पुलिस से कार्रवाई की मांग की।

दूसरा मामला : दूसरी किस्त गायब

गउपीपला निवासी जोरीया पुत्र देवा लउर के खाते में सीएम आवास के लिए नवम्बर के पहले सप्ताह में 42 हजार रुपए जमा हुए। लाभार्थी जोरीया राशि लेने बैंक बीसी सोहनलाल के पास गया। बीसी ने उपभोक्ता का अंगूठा मशीन पर लगवाकर खातेे में महज 8 हजार रुपए होने की बात कही। जोरीया ने आवास निर्माण के लिए राशि नाकाफी बताते हुए लेने से मना कर दिया। वह कोटड़ा पहुंचा, पता चला की बैंक से पूरी राशि जमा हुई थी। वह फिर से बीसी के पास पहुंचा। बीसी ने तुरंत उसके पैसे देने की बात कहकर कोटड़ा के लिए निकला। पीडि़त ने भांजे विनोद को जानकारी दी। विनोद ने बैंक से लेनदेन का इन्द्राज पासबुक में करवाया। बताया कि खाते से पहले 10 हजार 11 नवम्बर को फिर 15 को 25 हजार रुपए अन्य खाते में ट्रांसफर किए। आखरी निकासी भी बीसी के माध्यम से 8 हजार रुपए की हुई। पीडि़त शिकायत के लिए कोटड़ा पंचायत समिति पंहुचा, तो इसकी भनक बीसी को लग गई। बीसी सोहनलाल ने रविवार दोपहर उपभोक्ता के भांजे को 42 हजार रुपए लौटाने की पेशकश की। उपभोक्ता के नहीं मानने पर बीसी ने 43 हजार रुपए लौटाए।

तीसरा मामला : तीसरी किस्त का पता नहीं

बड़ली के रतनलाल पुत्र जोरीया पारगी को सीएम आवास के लिए मिलने वाली आखिरी किस्त नहीं मिली। पहली दो किस्तें मिलने पर उसने निर्माण करवाया। छत डालने के लिए 10 हजार रुपए नहीं मिले। लाभार्थी ने संबधित कार्यालय में पूछताछ की तो पता चला की आखिरी किस्त खाते में जमा हो गई। लाभार्थी ने राशि नहीं मिलना बताया और जालसाजी से रुपए निकालने की आशंका जताई।

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बैंक बीसी के कोटड़ा मुख्यालय पर बैठकर कार्य करने को लेकर काफी शिकायतें आई है, जिनको लेकर कार्रवाई भी की गई थी। कुछ को निलम्बित किया गया है। जालसाजी का मामला जांच का विषय है। इसकी जांच करवाएंगे।
- ओम प्रकाश व्यास, शाखा प्रबधंक, पीएनबी कोटड़ा

इनका कहना...
क्षेत्र के बैंक बीसी भ्रष्ट है, यह बैंक में खाते की जानकारी लेने आने वाले उपभोक्ताओं से भी खाते की जानकारी देने के एवज में पैसे वसूलते हैं। वृद्धावस्था हो यो विधवा पेंशन। ये सभी से वसूली करते हैं। बीसी को ग्राम पंचायत मुख्यालय पर ही कार्य करना चाहिए, जबकि अधिकांश कोटड़ा मुख्यालय पर बैठकर कार्य करते हैं।
- मूरारीलाल बुम्बरीया, प्रधान कोटड़ा