——— ओपीड़ी चर्म रोग, मनोरोग, आई, मेडिसिन, सर्जरी, ट्रोमा, इएनटी, ऑर्थोपेडिक सहित सभी ओपीडी नियिमत चल रही है, जबकि मरीज एक चौथाई आ रहे हैं। एेसे में बिना किसी काम से इस तरह स्टाफ से लेकर चिकित्सकों का समय भी खराब हो रहा है।
——— ये किया जा सकता है तो मिलेगा फायदा भी: – यदि यहां ओपीडी बंद होता है तो इमरजेंसी में एक ही जगह कुछ अतिरिक्त चिकित्सक लगाए जा सकते हैं। – आईएलआई ओपीडी जिसे कुछ दिन पहले नए ओपीडी सेक्शन शुरू किया है, वहां भी अतिरिक्त लगाए जा सकते हैं।
– कोरोना की इस महामारी के बीच चिकित्सकों की बड़ी संख्या रिजर्व रहेगी ताकि हर आपात स्थिति का तत्काल मुकाबला किया जा सके। – संसाधन भी जरूरत के आधार पर ही इस्तेमाल होंगे, और उनकी कमी नहीं खलेगी, सभी चिकित्सकों और स्टाफ को भी सुरक्षा सामग्री नहीं मिल रही है। एेसे मे यदि ओपीडी घटेंगे तो सभी को सामग्री भी उपलब्ध हो जाएगी।
– सेटेलाइट अम्बामाता व हिरणमगरी में नियमित ओपीडी के मरीजों को भेजा जा सकता है, ताकि यहां अनावश्यक भीड़ नहीं लगे और लॉक डाउन का पालन भी हो। —– ये निकाले हैं प्रदेश के अन्य हॉस्पिटलों ने आदेश
– मथुरादास माथुर चिकित्सालय जोधपुर में २५ मार्च से सभी नियमित आउटडोर को अग्रिम आदेशों तक बंद कर दिया गया है। – कांवटिया हॉस्पिटल, गणगौरी हॉस्पिटल के लिए जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल के प्राचार्य ने २५ मार्च को आदेश जारी किए कि सामान्य ओपीडी एसएमएस में बंद कर दी गई है, यहां केवल इमरजेंसी ओपीडी चलाई जा रही है, एेसे में कावंटिया व गणगौरी हॉस्पिटल में नियमित मरीजों को देखने की व्यवस्था की गई है। उसे मजबूत करने के लिए कुछ फैकल्टी सदस्य व सीनियर रेजिडेंट्स को वहां पर लगाया गया था, ताकि यहां केवल गंभीर मामलों को ही देखा जा सके। – पीबीएम व संबद्ध हॉस्पिटल बीकानेर में भी अधीक्षक ने आदेश जारी कर २३ मार्च को सभी ओपीडी को बंद कर दिया है।
—- सबसे बड़ी चुनौती यहां होगी सरकार के निर्देश है कि जो भी चिकित्सक कोरोना ओपीडी या आईएलआई (इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस) में मरीजों को देख रहा है, उसे १४ दिन काम के बाद अगले १४ दिन तक क्वारंटाइन में रखना होगा, एेसे में जब चिकित्सकों की कमी होगी तो कोरोना ओपीडी, आईपीडी व आईएलआई ओपीडी चलाने में कई प्रकार की परेशानी भी होगी, हालांकि इसे लेकर चिकित्सालय प्रबन्धन ने चिकित्सक पुल निर्धारित कर लिए हैं। फिलहाल तो मरीजों की संख्या बेहद कम है, लेकिन यदि बढ़ती है तो परेशानी हो सकती है।
——- दिन के साढे़ तीन हजार से अधिक मरीज हो गए कम ओपीडी में नियमित करीब छह हजार औसत मरीज रोजाना पहुंचते थे, लेकिन अब दो हजार मरीजों से भी कम मरीज नियमित ओपीडी में पहुंच रहे हैं।
—— इंडोर के कई वार्ड तो एेसे है कि यहां मरीजों से ज्यादा स्टाफ है। इसमें से ज्यादातर स्टाफ दिन भर आपस में बैठकर चर्चा करता नजर आता है, जबकि इनका ज्यादा उपयोग कोरोना वार्ड्स या अन्य जरूरत के वार्ड्स में किया जा सकता है। यहीं नहीं इनकी अलग कोरोना रिजर्व टीम भी बनाई जा सकती है, ताकि जो नियमित कोरोना वार्ड्स में कार्यरत है, उन्हें भी राहत दी जा सके।
—— हमारा केवल एक ही प्रयास है कि मरीजों को कम से कम परेशानी हो, ओपीडी को कुछ कम करने की सोच रहे हैं, व्यवस्थाओं को देखते हुए जल्द ही कोई निर्णय लेंगे।
डॉ आरएल सुमन, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल