कुल 20 वार्ड 9 हजार 822 मतदाताओं में बंटी कानोड़ नगर पालिका के चुनावी दंगल में सीट हथियाने की रणनीति बना रहे तीनों ही राजनीतिक दलों के सामने चेयरमैन को लेकर आकर्षित और योग्यता वाला महिला चेहरा तलाशना बड़ी चुनौती बन रहा है। वर्तमान व्यवस्था में पालिका के चार वार्ड एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। अब तक की रणनीति के तहत इसी वार्ड से महिला प्रत्याशी को लड़ाया जाना तय हैं, लेकिन आगे शतरंज के खेल में खिलाडिय़ों का स्थान बदल भी सकता है। बस स्टैण्ड, सार्वजनिक धर्मशाला से तुलसी द्वार और पश्चिम दिशा से होते हुए निमडिय़ा बावजी, पालिका की राजस्व सीमा के सहारे, कुरूमडिय़ा , तुलसी अमृत का दक्षिणी हिस्से मनोज कोठारी टावर वाली गली के मतदाता, प्रेमशंकर के मकान को लेते हुए टीवीएस शोरूम, मदनलाल दक का मकान से सार्वजनिक धर्मशाला की बीच का हिस्सा आरक्षित वार्ड के हिस्से में आता है। यहां करीब पांच सौ मतदाता हैं।
कहता है इतिहास
नगर निगम चेयरमैन से जुड़े इतिहास के पुराने पन्नों को पलटे तो तस्वीर हर सच को बखूबी बयां करती है। वर्ष 1975 में ग्राम पंचायत से नगर पालिका घोषित कानोड़ के पहले अध्यक्ष सरपंच बंशीलाल पुरोहित रहे। वर्ष 1994 में हुए पहले चुनाव में भाजपा की कुसुमलता शर्मा, 1999 में कांग्रेस के मीठालाल चौधरी, 2004 में भाजपा से भैरूलाल मीणा व 2009 में कांग्रेस के देवा मीणा अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2014 के रोमाचंक चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के साथ जनता सेना ने भी भाग्य अजमाया, जिसमें भाजपा के अनिल शर्मा को पालिकाध्यक्ष चुना गया। इस बोर्ड में कुल 15 पार्षद थे। इनमें से 8 भाजपा, 5 जनता सेना व 2 कांग्रेस के पार्षद हैं।
केंद्र, प्रदेश और अन्य चुनावों को लेकर कांग्रेस और भाजपा हमेशा से एक दूसरे की धुरविरोधी रहे हैं, लेकिन कानोड़ नगर पालिका ऐसा क्षेत्र है, जहां बोर्ड बनाने में कांग्रेस ने मौन रहकर भाजपा को समर्थन दिया है। वर्ष 2014 के चुनाव इसका उदाहरण भी है। त्रिकोणीय मुकाबले में जनता सेना को आगे नहीं बढऩे की सोच भी इस राजनीतिक बदलाव की बड़ी वजह रही है। nagar nikay chunav हालांकि, राजनीतिक अखाड़ों में भीतरी सहयोग का यह कोई नया उदाहरण नहीं है।