
भींडर/कानोड़। किशोर उम्र में बढ़ती बेटी को लेकर मां के कई अरमान थे, लेकिन एक छोटी सी घटना ने बेटी की जिंदगी अलग ही दिशा में मोड़ दी। घटना छोटी थी, लेकिन उसके जख्म इतने गहरे हो गए कि बेटी की उम्र खाट पर ही बीती जा रही है और परिवार उसे संभाल पाने में असहाय महसूस कर रहा है। दर्द कानोड़ के वार्ड-08 में रहने वाले परिवार का है। 23 वर्षीय लाडली हेमलता बीते 9 साल से खाट पर समय काट रही हैं। वह जब महज 14 साल की थी तब हादसा हुआ।
वह बाजार से गुजर रही थी कि दौड़ते आवारा जानवरों ने उसे गिरा दिया। वह इस कदर गिरी कि रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई। कुछ समय इलाज भी चला, लेकिन ज्यादा राहत नहीं मिली। कुछ समय बाद ही हेमलता के शरीर ने जवाब दे दिया। वह चलने-फिरने में असमर्थ होने लगी। वह कुछ दूर चलने पर ही हांफने लगती है। पता चला कि रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ गया है।
इसका उच्चस्तरीय उपचार कराना जरुरी है, अन्यथा परेशानी ठीक नहीं होगी। बेटी की हालत ऐसी है कि मां तारा इस पीड़ा की बात करते ही फफक पड़ती है। कहती है मैं जिंदा हूं तो बेटी की सेवा कर रही हूं, मेरे बाद बेटी किसके सहारे जिंदगी निकालेगी। छोटी बहन डिंपल की सगाई हो चुकी है और जल्द ही शाद की तैयारी है, लेकिन बड़ी बेटी की हालत और शादी के खर्च को लेकर मां चिंता में डूबी हुई है।
मुसीबतों ने एक साथ घेरा
हेमलता के साथ घटना हुई, तब कुछ दिन के लिए उदयपुर स्थित हॉस्पिटल में भर्ती रही। घर पहुंचकर कुछ दिन आराम के बिता रही थी कि पिता भगवती लाल दर्जी का निधन हो गया। वे दमे से पीड़ित थे। ऐसे में मानों परिवार को एक साथ कई मुसीबतों ने घेर लिया। घर चलाने वाले पिता चल बसे तो जिम्मेदारियां मां के कंधों पर आ गई।
मां मजदूरी से चला रही घर
हेमलता के दो जुड़वा भाई है, जो इधर-उधर काम करके घर खर्च जुटा रहे हैं, वहीं मां तारा नरेगा में मजदूरी कर बंदोबस्त कर रही है। चिकित्सकों ने हेमलता को अच्छे उपचार की जरुरत बताई है, लेकिन मां बेटी का इलाज करवाने में असहाय है। विधव पेंशन और खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ घर चलाने में नाकाफी है।
Published on:
21 Feb 2023 06:25 pm
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