हमारे इंजीनियर्स विश्व स्तरीय
उदयपुरPublished: Dec 22, 2018 07:34:00 pm
उदयपुर – चल रही तीन दिवसीय 33वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के दूसरे दिन
हमारे इंजीनियर्स विश्व स्तरीय
उदयपुर। हमारे इंजीनियर्स विश्व स्तरीय हैं और आईआईटी के माध्यम से बेहतरीन इंजीनियर्स तैयार हो रहे हैं। यह सही है कि देश के आईआईटी की क्षमता 10 हजार विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने की है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि जो बच्चे आईआईटी में नहीं पढ़ पा रहे हैं वे बुद्धिमत्ता में कहीं कमतर हैं। मेरा मानना है कि हमारे देश में ब्रेन और टेलेंट का मुकाबला दुनिया में कोई नहीं कर सकता मगर जरूरत सही प्लेटफार्म की है। ये विचार डायरेक्टर आईआईटी, जोधपुर प्रो. शांतनु चौधरी ने शनिवार को उदयपुर के अनंता रिसोर्ट में चल रही तीन दिवसीय 33वीं इंडियन इंजीनियरिंग कांग्रेस के दूसरे दिन 40वें सर राजेंद्रनाथ मुखर्जी मेमोरियल लेक्चर में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण और इम्प्लीमेंटेशन के स्तर पर कुछ समस्याएं हैं जिन्हें दूर कर समावेशी विकास के लक्ष्य को पाया जा सकता है।
आयोजन समिति के अध्यक्ष इंजीनियर सोहनसिंह राठौड़, सह अध्यक्ष इंजीनियर अनुरोध प्रशांत शर्मा, आयोजन सचिव इंजीनियर यवंतीकुमार बोलिया, सह सचिव इंजीनियर महेंद्रकुमार माथुर एवं प्रेस सचिव इंजीनियर चंद्रप्रकाश जैन ने बताया कि दूसरे दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों में इंजीनियरिंग की कई शाखाओं के ज्ञान और शोध का पिटारा खुला। शोधार्थियों ने विभिन्न विशेषज्ञों के समक्ष विचार रखे तो विशेषज्ञों ने चुनौतियों व अवसरों के बारे में बताया। साझा विचार यह रहा कि बदलते दौर में हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तरफ खास तौर पर फोकस करना है। इसके अलावा विभिन्न तकनीकों के आपसी समन्वय एवं उन सभी तकनीकों के विज्ञान की अन्य शाखाओं मसलन मानवीकी और चिकित्सकीय शाखाओं के साथ अनुप्रयोग के नए तरीकों पर विचार करने पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि देश में दो प्रकार की स्थितियां हैं, पहली जहां आम आदमी दो वक्त की रोटी तक के लिए संघर्ष कर रहा है तो दूसरी स्थिति में हमें चिकित्सा, रक्षा व अंतरिक्ष क्षेत्र में नए आयामों को छूना है। ऐसे में मौलिक शोध व उससे भी ज्यादा जरूरी उसके सही-सटीक, समयबद्ध अनुप्रयोग पर जोर दिया जाना चाहिए। शिक्षा व डिग्री जरूरी हैं लेकिन उससे ज्यादा जरूरी ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देकर सामने लाना है जो खुद इनिशिएटिव लेकर नवाचार कर रहे हैं।
मेमोरियल लेक्चर्स में साझा किए विचार :
डॉ. केएल राव मेमोरियल लेक्चर प्रो. डॉ. रघुनाथ के. शेवगांवकर ने दिया व इंजीनियरिंग की दशा-दिशा के बारे में बताया। 8वें प्रो.सीएस झां मेमोरियल लेक्चर में प्रो. केके अग्रवाल, आईपी विवि दिल्ली के वाइस चांसलर ने विचार रखे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनें साझा मंच :
अंतराष्ट्रीय सत्र में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका साहित अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र की वैश्विक चुनौतियों पर विचार करते हुए कहा कि तकनीकी के साथ ही साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अब भी कई देशों में बहुत कुछ किया जाना शेष है। तकनीकी ने हमें सुरक्षा व सुविधा तो प्रदान की ही है लेकिन साइबर खतरों की अनदेखी नहीं की जा सकती। इसके लिए साझा सेफागार्ड डिवलप किया जाना चाहिए। सदस्यों ने दी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स इंडिया को साझा मंच प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया। सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉ. अजीत बाजपेयी, डीजी एनसीआईआईपी व अमित शर्मा एडिशनल डायरेक्टर डीआरडीओ थे।