वे अखिल भारतीय शैक्षणिक महासंघ एवं अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष भी रहे। शिवकिशोर सनाढ्य करीब 15 दिन से बीमार चल रहे थे। साल 2006 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने उन्हें यूआईटी चेयरमैन बनाया था। उनके करीबी रहे डॉ. लक्ष्मीनारायण नंदवाना ने बताया कि जन्मदिन 24 मार्च से छह दिन पहले सनाढ्य का देहावसान हो गया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि शिवकिशोर सनाढ्य संघर्ष-सादगी के पर्याय थे। उन्होंने कर्मचारी हितों के लिए लंबा संघर्ष किया। मेहनत से शिक्षक संघ सनाढ्य खड़ा किया। सादगी का उनसे बड़ा उदाहरण ढूंढना मुश्किल है। पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ. गिरिजा व्यास ने कहा कि सनाढ्य शिक्षक नेता के रूप में ही बढ़ते रहे और कभी मुड़कर नहीं देखा। वे राजनीति में भी जनता की आवाज बने। उदयपुर ही नहीं प्रदेश में भी सनाढ्य की पहचान थी।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, देहात जिला अध्यक्ष भंवर सिंह पंवार, सांसद अर्जुन लाल मीणा, ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत, मेयर चंद्रसिंह कोठारी, उप महापौर लोकेश द्विवेदी आदि ने सनाढ्य के निधन पर शोक जताया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी, सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष गोपाल शर्मा, देहात अध्यक्ष लालसिंह झाला ने सनाढ्य के निधन को राजनीतिक क्षति बताया।