उदयपुर: आरएसईबी और बिजली निगमों से रिटायर्ड हुए 55 हजार पेंशनर्स का 24 हजार करोड़ फंड बिजली निगम दबाए बैठे हैं। जहां पेंशन फंड में 30 हजार करोड़ जमा कराने थे, वहां सिर्फ 6 हजार करोड़ की राशि ही जमा है।
ऐसे में आगामी सालों में आरएसईबी और विद्युत निगम कर्मचारियों को पेंशन देना मुश्किल होगा। इस बाकियात का खुलासा राजस्थान विद्युत नियामक आयोग में एक याचिका पर हुई सुनवाई में सामने आया।
करीब 25 साल पहले राजस्थान स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (आरएसईबी) राजस्थान की बिजली व्यवस्था संभालता था। उस दरमियान कर्मचारियों की पेंशन के लिए बोर्ड का हिस्सा फंड में जमा रहता था। आरएसईबी का खुद का अपना पेंशन कोष था। साल 2000 में बोर्ड का विघटन हुआ और 5 विद्युत कम्पनियां बनीं।
उत्तराधिकारी के तौर पर प्रसारण निगम को जिम्मेदारी दी गई। प्रसारण निगम को पेंशन कोष की सार संभाल करनी थी। लेकिन विघटन के दौरान ही पूरा फंड प्रसारण निगम को हस्तांतरित नहीं हो पाया। पता चला है कि आरएसईबी ने पहले ही फंड राशि अन्य कार्यों में खर्च कर दी थी, जिससे हस्तांतरण नहीं हो पाया था।
कई बार शिकायतों पर नियामक आयोग ने भी इसे कानूनी बाध्यता बताया और आदेश दिया कि प्रति यूनिट बिजली बेचने का कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जमा कराया जाए। इस पर साल 2015 में प्रति यूनिट बिजली में से कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जमा कराना शुरू भी हुआ, लेकिन प्रक्रिया निरंतर नहीं रह पाई।
पिछले सालों में बिजली निगमों ने पेंशन फंड में थोड़ी-थोड़ी राशि ही डाली, जबकि पुरानी बाकियात को अनदेखा किया जाता रहा। ऐसे में बाकियात बढ़ती जा रही है और पेंशन कोष में घाटा बढ़ रहा है। नतीजा ये कि आगामी सालों में आरएसईबी और विद्युत निगम कर्मचारियों को पेंशन देना मुश्किल हो सकता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि बोर्ड से पेंशन फंड का प्रसारण निगम को हस्तांतरण नहीं हो पाना अमानत में खयानत का मामला है। जो दंडनीय अपराध है। ऐसे में 25 साल पहले भी रिटायर्ड कर्मचारी मुकदमा करना चाहते थे। लेकिन नहीं कर पाए। फिलहाल, शिकायत नियामक आयोग में की गई तो पेंशन कोष अधूरा होना सामने आया।
-प्रसारण निगम 7,122 4,895 2,237
-जयपुर डिस्कॉम 8,055 821 7,233
-अजमेर डिस्कॉम 6,852 132 6,718
-जोधपुर डिस्कॉम 5,795 2.10 5,792
-उत्पादन निगम 2,196 641 1,555
Updated on:
24 Jun 2025 11:51 am
Published on:
24 Jun 2025 09:37 am