scriptइस स्कूल में गुरुजी केवल झंडा फहराने आते हैं, बच्चे खेलकर चले जाते घर | The education system in tribal-dominated Kotra is poor. | Patrika News

इस स्कूल में गुरुजी केवल झंडा फहराने आते हैं, बच्चे खेलकर चले जाते घर

locationउदयपुरPublished: Mar 17, 2019 01:25:26 pm

कोटड़ा में कैसे हो शिक्षा का उजियारा

चन्दनसिंह देवड़ा/उदयपुर. आदिवासी बहुल कोटड़ा में शिक्षा का ढर्रा बिगड़ा हुआ है। अधिकतर स्कूलों में शिक्षक नहीं है और जहां पर हैं उनमें से कुछ स्कूल खोलने तक की जहमत नहीं उठाते हैं। ऐसा ही मामला सामने आया सामोली ग्राम पंचायत के उपला तिलरवा गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय का। इस स्कूल में कार्यरत शिक्षाकर्मी केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त को झंडा रोहण करने आता है। इसके सिवाय कभी स्कूल नहीं खोलता। बच्चे भी घर से निकलते हैं और स्कूल में थोड़ी देर खेल कर घर लौट जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह शिक्षाकर्मी बाबूलाल की शिकायत करें तो वह झगड़ा करने पर उतारू हो जाता है। उसका मोबाइल अक्सर बंद रखता है जिससे उससे सम्पर्क तक नहीं हो पाता है। बच्चे पढऩा चाहते हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने वाला कोई नहीं है। इस बार भी 26 जनवरी के बाद स्कूल में गुरुजी के दर्शन नहीं हुए हैं।
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शिक्षाकर्मी के पास बीएलओ का भी काम
&ग्रामीणों की शिकायत पर मैं पिछले तीन दिन से निगरानी कर रहा हूं तो स्कूल बंद मिल रहा है। जो शिक्षाकर्मी लगा हुआ है, उसे बीएलओ का काम भी दे रखा है। इसका वेतन पीईईओ कार्यालय से ही बनता है। सोमवार को स्कूल जाकर देखता हूं। भागीरथ पार्थ, पीओ तिलरवा, सिमोली
पीईईओ को पता नहीं वहां कितने शिक्षक
इस शिकायत पर जब कोटड़ा पीईईओ जीवनलाल खराड़ी से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल खुलता है और वहां पर दो शिक्षाकर्मी लगे हुए हैं जबकि ग्रामीणों ने बताया कि एक ही शिक्षाकर्मी है।
(in photo – demo pic)

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