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फ्लेट का कब्जा नहीं सौंपा तो कंपनी पर सुपुर्दगी तक लगाया हर माह जुर्माना, उदयपुर कोर्ट ने सुनाया फैसला

locationउदयपुरPublished: Jun 07, 2018 06:03:23 pm

Submitted by:

madhulika singh

न्यायालय ने प्रतिमाह जुर्माना लगाते हुए दो माह में निर्माण पूरा कर परिवादियों को कब्जा देने के आदेश

court order

फ्लेट का कब्जा नहीं सौंपा तो सुपुर्दगी तक हर माह जुर्माना

उदयपुर. फ्लेट का सौदा कर कब्जा सुपुर्द नहीं करने वाली कंपनी पर न्यायालय ने प्रतिमाह जुर्माना लगाते हुए दो माह में निर्माण पूरा कर परिवादियों को कब्जा देने के आदेश दिए।

संतोषनगर गायरियावास निवासी ओमप्रकाश पुत्र कन्हैयालाल गहलोत ने मोडेक्ट इन्फ्रा लिमिटेड जरिए निदेशक कार्यालय द माइल स्टोन टोंक रोड जयपुर, यूनिवर्सिटी रोड निवासी किरण देवी पत्नी सुरेश जैन व पानीदेवी पत्नी छगनलाल जैन के खिलाफ परिवाद पेश किया था। बताया कि विपक्षी कंपनी रियायशी व गैर रियायशी भवन का निर्माण कर फ्लेट व कार्यालय विक्रय करने का व्यवसाय करती है। कंपनी बडग़ांव में भी आवासीय कॉम्पलेक्स निर्माणाधीन करते हुए उसे फ्लेट नम्बर 804 का 27 लाख में विक्रय प्रस्ताव रखा। 20 दिसम्बर 2010 को विक्रय निष्पादित हुआ। इकरार के तहत किश्तों में राशि देने के साथ ही तीन साल में फ्लेट पूरा करके देना तय किया। परिवादी ने तय समय सारी किश्तों का भुगतान कर दिया। विपक्षी ने अब तक न तो निर्माण कार्य पूरा किया न ही कब्जा सुपुर्द किया।
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कब्जा समय पर सुपुर्द नहीं करने से परिवादी फ्लेट को किराए पर नहीं दे सका, इससे उसे मासिक करीब 20 हजार का नुकसान हो गया। जिला उपभोक्ता प्रतितोष फोरम के अध्यक्ष हिमांशुराय नागौरी, सदस्य अंजना जोशी ने सुनवाई के बाद आदेश दिया कि कंपनी दो माह में फ्लेट को पूरा कर परिवादी को दे तथा जब तक सुुपुदर्गी नहीं होगी तब तक वह मेटिनेंस चार्ज न लें। 20 दिसंंबर 2014 से फ्लेट सुपुर्दगी तक कंपनी परिवादी को प्रतिमाह 5 हजार रुपए क्षतिपूर्ति के अदा करे। इसके अलावा मानसिक, शारीरिक प्रताडऩा व वाद व्यय के 20 हजार रुपए अलग से अदा करे।
इसी तरह कंपनी के विरुद्ध ही हजारेश्वर कॉलोनी निवासी सुरेखा पत्नी अभय नाहर के प्रकरण में भी न्यायालय ने दो माह में फ्लेट पूरा कर दो माह में सुपुर्द करने तथा 4 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से 5 जनवरी 15 से सुपुर्दगी तक क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए। परिवादिया को भी मानसिक, शारीरिक प्रताडऩा व वाद व्यय के 20 हजार रुपए अलग से देने का कहा। परिवादिया सुरेखा को भी कंपनी ने फ्लेट नम्बर 406 का 19 लाख में इकरार किया लेकिन अब तक कब्जा नहीं सौंपा।
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