READ MORE : सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में भर्ती घोटाला : रोस्टर की लड़ाई में कूदे प्रभारी मंत्री और सांसद, आरक्षण के नियमों की हुई अवहेलना पर किए सवाल कब्जा समय पर सुपुर्द नहीं करने से परिवादी फ्लेट को किराए पर नहीं दे सका, इससे उसे मासिक करीब 20 हजार का नुकसान हो गया। जिला उपभोक्ता प्रतितोष फोरम के अध्यक्ष हिमांशुराय नागौरी, सदस्य अंजना जोशी ने सुनवाई के बाद आदेश दिया कि कंपनी दो माह में फ्लेट को पूरा कर परिवादी को दे तथा जब तक सुुपुदर्गी नहीं होगी तब तक वह मेटिनेंस चार्ज न लें। 20 दिसंंबर 2014 से फ्लेट सुपुर्दगी तक कंपनी परिवादी को प्रतिमाह 5 हजार रुपए क्षतिपूर्ति के अदा करे। इसके अलावा मानसिक, शारीरिक प्रताडऩा व वाद व्यय के 20 हजार रुपए अलग से अदा करे।
इसी तरह कंपनी के विरुद्ध ही हजारेश्वर कॉलोनी निवासी सुरेखा पत्नी अभय नाहर के प्रकरण में भी न्यायालय ने दो माह में फ्लेट पूरा कर दो माह में सुपुर्द करने तथा 4 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से 5 जनवरी 15 से सुपुर्दगी तक क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए। परिवादिया को भी मानसिक, शारीरिक प्रताडऩा व वाद व्यय के 20 हजार रुपए अलग से देने का कहा। परिवादिया सुरेखा को भी कंपनी ने फ्लेट नम्बर 406 का 19 लाख में इकरार किया लेकिन अब तक कब्जा नहीं सौंपा।