
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव। फोटो पत्रिका
Rajasthan Aravalli : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि हम अरावली संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि अरावली पहले से ही संरक्षित है, जहां खनन हो ही नहीं सकता। इसके संबंध में जिस रिपोर्ट पर निर्णय हुआ, वह तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के समय की दी हुई है।
अब सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसमें कहा कि अब भी जो खनन हो रहा है, उसका मैनेजमेंट प्लान बनना चाहिए। पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि आगे न्यायालय से जो भी कहा जाएगा, वह स्वीकार करेंगे, पालना करेंगे। हम अरावली में किसी भी तरह की अवैध माइनिंग के खिलाफ हैं।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि ग्रीन क्रेडिट फंड की स्थापना की है। उजड़ चुके किसी भी जंगल को 40 प्रतिशत हरा भरा करेंगे। इसकी शुरुआत गुरुग्राम में जो अरावली क्षेत्र है, उसके 700 एकड़ में की गई है। हम आगे भी अरावली की ग्रीन वॉल को मजबूत करने में सहायता करेंगे।
अरावली को राजस्थान की लाइफ लाइन कहा जाता है। पर यह लाइफ लाइन अब खतरे में है। पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद राजस्थान के लिए यह चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने नीलगिरी पर्वत को लेकर दिए अपने निर्णय में माना है कि अरावली पर्वत का क्षेत्र अब सिकुड़ता जा रहा है। अरावली का लगभग 90 फीसदी हिस्सा 100 मीटर से भी कम की ऊंचाई का रह गया है। ऐसी स्थिति में 100 मीटर से नीचे के भूभाग को अब अरावली को पहाड़ी नहीं माना जाएगा।
Updated on:
21 Dec 2025 10:49 am
Published on:
21 Dec 2025 09:25 am
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