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सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. प्रतिभा ने कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और कहा कि साहित्य संस्थान द्वारा ये जो शुरुआत की गई है इसे निरन्तर करने का प्रयास किया जाएगा। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए तथा प्रतिभागियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें अजय मोची, कंचन लवानिया, कोयल राय, आस्था शर्मा, रविन्द्र, जाकिर खान ने विचार रखे।
निदेशक प्रो. जीवनसिंह खरकवाल ने स्वागत उद्बोधन देते हुए यह कहा कि संस्थान द्वारा जो यह प्रयास किया गया है। इसमें सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय की प्रो. प्रतिभा और उद्गम के डॉ. राजेष मीणा का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।
संचालन संयोजक डॉ. कुलशेखर व्यास ने किया। उन्होंने कहा कि कार्यषाला से विद्यार्थी किसी नतीजे पर पहुॅंचता है और वह स्वयं यह तय कर सकता कि वह कहां खड़ा है। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उद्गम ट्रस्ट के डॉ. राजेश मीणा ने सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि यदि धरोहर से सम्बन्धित किसी भी प्रकार का आयोजन किया जाता है तो उद्गम हमेशा तैयार रहेगा।
सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. प्रतिभा ने कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और कहा कि साहित्य संस्थान द्वारा ये जो शुरुआत की गई है इसे निरन्तर करने का प्रयास किया जाएगा। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए तथा प्रतिभागियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें अजय मोची, कंचन लवानिया, कोयल राय, आस्था शर्मा, रविन्द्र, जाकिर खान ने विचार रखे।
निदेशक प्रो. जीवनसिंह खरकवाल ने स्वागत उद्बोधन देते हुए यह कहा कि संस्थान द्वारा जो यह प्रयास किया गया है। इसमें सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय की प्रो. प्रतिभा और उद्गम के डॉ. राजेष मीणा का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।
संचालन संयोजक डॉ. कुलशेखर व्यास ने किया। उन्होंने कहा कि कार्यषाला से विद्यार्थी किसी नतीजे पर पहुॅंचता है और वह स्वयं यह तय कर सकता कि वह कहां खड़ा है। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उद्गम ट्रस्ट के डॉ. राजेश मीणा ने सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि यदि धरोहर से सम्बन्धित किसी भी प्रकार का आयोजन किया जाता है तो उद्गम हमेशा तैयार रहेगा।