आम श्रद्धालुओं की कतार से अलग
महाकाल मंदिर में आम श्रद्धालुओं की कतार से अलग होकर मंदिर परिसर में प्रवेश के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए २५१ की सशुल्क दर्शन व्यवस्था है। त्योहारों के अतिरिक्त आम दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस सुविधा का लाभ लेकर दर्शन करते हैं। इसमें फर्क केवल इतना है कि सशुल्क दर्शन वाले श्रद्धालुओं को आम दर्शनार्थियों की कतार में नहीं लगना पड़ता है पर मंदिर के भीतर नंदीगृह में दर्शन आम भक्तों के साथ होते हैं। बहरहाल महाशिवरात्रि पर १३ फरवरी को सशुल्क दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को पूर्व से टिकट देने के उद्देश्य से महाकाल मंदिर प्रबंध समिति तीन दिन पूर्व टिकट विक्रय पर विचार कर रहीं है। इस तरह का सुझाव भी आया था,जिसमें कहा था कि 25१ की टिकट लेने के लिए लोगों की काउंटरों पर लाइन लगती है क्यों न पहले से ही महाशिवरात्रि की तारीख के एडवांस टिकट विक्रय करें ताकि लोग आए और सीधे लाइन में लगकर दर्शन कर ले। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक अवधेश शर्मा के अनुसार फिलहाल इस पर विचार किया जा रहा है। वैसे मंदिर प्रबंध समिति की ओर से महाशिवरात्रि पर २५१ रु.के सशुल्क दर्शन टिकट विक्रय के लिए अलग-अलग स्थानों पर काउंटर पर लगाने की योजना है। आवश्यकता पडऩे पर इनकी संख्या में वृद्धि की जा सकती है।
बाबा महाकाल का छबीना शृंगार देख भक्त भावविभोर
महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि पर्व पर राजाधिराज महाकाल का प्रतिदिन विशेष शृंगार किया जा रहा है। गुरुवार को बाबा महाकाल का छबीना स्वरूप में शृंगार देख भक्त भावविभोर हो गए। शुक्रवार को बाबा महाकालेश्वर को होलकर मुखारबिंद धारण कराया जाएगा। शिवनवरात्रि के चौथे दिन गुरुवार को प्रात: नेवैद्य कक्ष में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का पूजन किया गया। कोटितीर्थ कुंड के पास स्थापित कोटेश्वर महादेव के पूजन के बाद शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों ने अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ किया। भगवान का छबीना रूप मे शृंगार कर बाबा को छत्र, चांदी की नरमुण्ड माला एवं फलों की माला धारण कराई गई। शिवनवरात्रि के पांचवे दिन शुक्रवार को बाबा महाकालेश्वर को होलकर मुखारबिंद धारण कराया जाएगा।
हरिकीर्तन जारी
मंदिर प्रागंण में हरि भक्तपरायण पं.रमेश कानड़कर का हरि कीर्तन आयोजन जारी है। कथा के चौथे दिन गौड़ बंगाल के राजा गोपीचन्द्र की माता मैनावती द्वारा बाबा जालंधर नाथ को गुरु बनाने की कथा का प्रसंग आगे बढाते हुए, गुरु जालंधर नाथ द्वारा उपदेश देने की कथा तथा पुन: अपने पुत्र को गुरुकृपा प्राप्ति की कथा का वर्णन किया। तबले पर संगत तुलसीराम कार्तिकेय ने की।