
ujjain news (फोटो सोर्स : पत्रिका)
MP News: उज्जैनजिला अस्पताल चरक भवन में गंभीर बीमार नवजात को लेकर अमानवीय और बेहद लापरवाही भरे व्यवहार के आरोप लगे हैं। आरोप है कि पहले नवजात को निजी अस्पताल ले जाने के लिए चरक से एम्बुलेंस नहीं मिली और जब परिजनों ने निजी एम्बुलेंस बुलाई तो बच्चे को एनआइसीयू से एम्बुलेंस में पहुंचाने तक के लिए अस्पताल ने ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं की। इसके बाद चरक में सिस्टम पर सवाल उठाता दृश्य सामने आया... एक लाचार पिता अपनी गोद में एक-एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे तीन दिन के मासूम को ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ लेकर भटक रहा था।
तीन दिन पूर्व हाशिमा बी ने नागदा में बालक को जन्म दिया था। बच्चे को सांस लेने में परेशानी के चलते उसे नागदा शासकीय अस्पताल से उज्जैन चरक अस्पताल रैफर किया गया। प्रसूता के पिता नौशाद खान ने बताया, दो दिन बच्चे को चरक अस्पताल में भर्ती रखा। डॉक्टर-नर्स बच्चे के ठीक होने की बात कह रहे थे लेकिन गुरुवार सुबह इंदौर एमव्हाय अस्पताल ले जाने का कह दिया। हमने उज्जैन में ही निजी अस्पताल में बच्चे को भर्ती करने का निर्णय लिया। एम्बुलेंस लेने गए तो बताया कि इसमें ऑक्सीजन नहीं है। बच्चे को बिना ऑक्सीजन के नहीं रखा जा सकता था। इसलिए मजबूरी में 1350 रुपए खर्च कर प्राइवेट एम्बुलेंस बुलाई।
बच्चे को एनआइसीयू से अस्पताल परिसर में खड़ी निजी एम्बुलेंस तक ले जाने के लिए ऑक्सीजन व्यवस्था मांगी लेकिन किसी ने मदद नहीं की। बाद में नवजात के पिता अरबाज ने दोस्त की सहायता से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बच्चे को एनआइसीयू से निजी एम्बुलेंस तक लाए।
मामले में सीएमएचओ डॉ. अशोक पटेल ने बताया, शासकीय अस्पताल से शासकीय अस्पताल में रैफर करने और इसके लिए एम्बुलेंस उपलब्ध करवाने का प्रावधान है। चरक अस्पताल में 108, बीएलएस, एएलएस एम्बुलेंस उपलब्ध थी। निजी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी। हमारी ओर से नवजात को रैफर भी नहीं किया गया था, परिजन ही स्वेच्छा से निजी अस्पताल ले जाना चाहते थे।
पत्रिका ने आरोपों की पड़ताल की तो स्थिति अलग मिली। दरअसल एक सरकारी अस्पताल से दूसरे सरकारी अस्पाल में मरीज को रैफर करने पर शासकीय एम्बुलेंस सुविधा नि:शुल्क मिलती है। यदि निजी सरकारी से निजी अस्पताल ले जाना हो तो मरीज या अटेंडर 108 पर फोन लगाकर इसकी मांग कर सकते हैं। केस की गंभीरता के अनुसार संबंधित चिकित्सक की अनुशंसा पर एम्बुलेंस की सुविधा सशुल्क मिल जाती है।
सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण में जानकारी के अभाव और चरक में किसी के द्वारा सहयोग नहीं करने के कारण परिजनों को परेशान होना पड़ा है। सूत्र बताते हैं, घटना के समय अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन सिलेंडर लेस दो सरकारी एम्बुलेंस खड़ी थीं। परिजन इन एम्बुलेंस के पास तक पहुंच ही नहीं सके, और परिसर में खड़ी निजी एम्बुलेंस के चालक से चर्चा कर ली जिसमें ऑक्सीजन नहीं थी। उन्होंने 108 पर भी फोन नहीं लगाया, न हीं किसी ने उन्हें ऐसा करने की जानकारी दी। बाद में उन्होंने निजी एम्बुलेंस को बुलाया। बता दें कि जिला अस्पताल में निजी एम्बुलेंस को लेकर कमीशनखोरी के भी आरोप लगते रहे हैं।
Published on:
15 Aug 2025 03:22 pm
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