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उज्जैन. पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के मामले का असर शहर में भी साफ दिखाई दिया। निजी क्लिनिक-अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हुई वहीं शासकीय जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने असुरक्षा के भाव को सार्वजनिक किया। डॉक्टर अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनकर आए वहीं अपने साथ डंडा भी रखा। डॉक्टरों के इस हुलिये में देख मरीज भी कुछ समय के लिए अचंभित हो गए।
आम दिनों की तरह सोमवार सुबह ९ बजे जिला अस्पताल में ओपीडी खुली। उपचार के लिए डॉक्टर भी पहुंचे, लेकिन आम दिनों से अलग वे अपने साथ डंडा लेकर आए। इतना ही नहीं, चिकित्सकों ने हेलमेट पहनकर मरीजों का इजाल किया। मरीज जिस कक्ष में गए, वहां उन्हें डॉक्टर हेलमेट पहने और साथ में डंडा रखे मिले। पश्चिम बंगाल की घटना के विरोध स्वरूप डॉ. जितेन्द्र शर्मा, डॉ. विक्रम रघुवंशी, डॉ. अनिल भार्गव, डॉ. जीएस धवन सहित एक दर्जन डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधी और डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर ओपीडी के बाहर नारे भी लगाए। डॉक्टरों का कहना था कि अस्पतालों में उपचार के दौरान मरीज के साथ कुछ होता है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो परिजन सीधे डॉक्टर्स को दोष देकर हिंसा पर उतारू हो जाते हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
क्लिनिक बंद रख चिकित्सकों ने दिया धरना
पश्चिम बंगाल में डॉक्टर्स के विरुद्ध हुई हिंसा के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन डेंटल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया गया। शहर के चिकित्सकों ने अपने क्लिनिक-अस्पताल बंद रख टॉवर पर धरना दिया व शांतिमार्च निकाला। चिकित्सकों ने टॉवर पर पहले सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक धरना दिया। इसके बाद शांतिमार्च निकाला जो शहीद पार्क होते हुए पुन: टॉवर पहुंच समाप्त हुआ। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजय जोशी, सचिव डॉ. गिरधर सोनी व डॉ. गोपाल सिंह ने बताया कि जीवन की रक्षा करने वाले डॉक्टरों पर आए दिन जानलेवा हमले हो रहे हैं, ऐसे में इन हमलों पर रोक लगना चाहिए। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट लागू होना चाहिए।
Published on:
18 Jun 2019 06:00 am
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