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इसलिए शिव से पहले करते हैं नंदी से मुलाकात…

ऐसा माना जाता है कि नंदीजी के कान में अपने मन की फरियाद सुनाने से वह कार्य भगवान शिव जरूर पूरा करते हैं।

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उज्जैन. हर शिवमंदिर में एक नंदी की प्रतिमा जरूर होती है। ऐसा माना जाता है कि नंदीजी के कान में अपने मन की फरियाद सुनाने से वह कार्य भगवान शिव जरूर पूरा करते हैं। यही वजह है कि चाहे आम भक्त हो या नेता-अभिनेता, हर कोई शिव के दर्शन से पहले या बाद में नंदीजी को अपने मन की बात जरूर सुनाते हैं।

नंदी के दर्शन से पुण्य मिलता है
भगवान शिव के वाहन नंदी से जुड़ी कई रहस्यमयी बातें हैं। साथ ही उनके आध्यात्मिक कारण भी हैं। अक्सर हम देखते हैं कि नंदी की प्रतिमा शिव परिवार के साथ कुछ दूरी पर या मंदिर के बाहर होती हैं। इसका कारण क्या है? वास्तव में जिस प्रकार भगवान शिव के दर्शन और पूजन का महत्व है, उसी प्रकार नंदी के दर्शन करने से भी पुण्य प्राप्त होता है।

शिव के परम भक्त हैं नंदी
नंदी के दर्शन का बड़ा ही महत्व है। नंदी भगवान शिव के वाहन ही नहीं, बल्कि वे उनके परम भक्त भी हैं। उनके दर्शन मात्र से ही मन को असीम शांति प्राप्त होती है। कहा जाता है कि शिव गहन समाधि में डूबे रहते हैं, क्योंकि वे महान तपस्वी हैं। अगर अपनी मनोकामना नंदी के कानों में कही जाए, तो वे भगवान शिव तक उसे जरूर पहुंचाते हैं। फिर वह नंदी की प्रार्थना हो जाती है, जिसे भगवान शिव पूरी करते हैं। नंदी मंदिर के बाहर विराजमान होते हैं, जहां भक्त आसानी से उन तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।

क्या कहती हैं नंदी की आंखें
नंदी की आंखें बहुत सुंदर हैं। उन्हें देखने से ही मन को सुकून मिलता है। नंदी के नेत्र सदैव अपने इष्ट को स्मरण रखने का प्रतीक हैं, क्योंकि नेत्रों से ही उनकी छवि मन में बसती है और यहीं से भक्ति की शुरुआत होती है। वे भक्ति के साथ नीति को भी जरूरी मानते हैं, क्योंकि अगर भक्ति के साथ मनुष्य में क्रोध, अहंकार व दुर्गुणों को पराजित करने का सामथ्र्य न हो तो भक्ति का लक्ष्य भी प्राप्त नहीं होता। नंदी के नेत्रों से हम कई बातें सीख सकते हैं।

बड़ा रहस्य छुपा है छोटे-छोटे सींगों में
नंदी के सींग न तो बहुत बड़े और न ही बहुत छोटे होते हैं। इनका संबंध मस्तिष्क से है। नंदी के दर्शन के बाद उनके सींगों को स्पर्श करते हैं और इसके बीच से शिव की प्रतिमा को निहारते हैं। कहा जाता है कि इससे मनुष्य को सद्बुद्धि आती है। लंबी उम्र होती है तथा शुभ-अशुभ कर्मों में भेद करने का भाव जाग्रत होता है।

मन को मधुर लगती है गले की घंटी
नंदी के गले में पहनाई जाने वाली घंटी की ध्वनि मन को बड़ी ही मधुर लगती है। इस सुनहरी घंटी में ईश्वरीय धुन है जो कानों को अतिप्रिय लगती है। इस धुन में नंदी डूबे रहते हुए अपने देवाधिदेव महादेव का ध्यान करते रहते हैं। इसका मतलब है कि नंदी की तरह अगर मनुष्य भी भगवान की धुन में रमा रहे तो यह जीवन बहुत आसान हो जाता है।

नंदी के चरणों का खास महत्व
नंदी के चार चरणों का खास महत्व बताया जाता है। जिनके बल पर वे शिव की यात्रा को सफल व पूर्ण बनाते हैं। मनुष्य जीवन की भी चार अवस्थाएं होती हैं। इसका मतलब है कि अगर कोई अपने कार्य को भगवान का कार्य मानकर चले तो उसका हर पल भगवान की भक्ति के समान हो जाता है।