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video : महाकाल मंदिर में अरुणिमा के साथ हुई घटना के बाद अब बनाएंगे शी-लाउंज

महाकाल दर्शन को गई एवरेस्ट फतह करने वाली अरुणिमा का अपमान, प्रशासक ने कहा- वे निर्धारित कपड़ों में नहीं थीं, इसलिए प्रवेश नहीं

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Arunima Sinha,Everest,mahakal darshan,Divyang,Mahakal Bhasmanti

उज्जैन. एवरेस्ट पर चढऩे वाली देश की पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा को महाकाल मंदिर में अव्यवस्था का शिकार होना पड़ा। उन्हें भस्मारती के बाद बाबा महाकाल के दर्शन करने से रोक दिया। वे दर्शन करने के लिए गिड़गिड़ाईं लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया। उन्होंने खुद को दिव्यांग बताते हुए दर्शन करने की बात कही, लेकिन कर्मचारियों ने कहा कि ऐसे बहुत आते हंै। अपमानित होने से दुखी अरुणिमा ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री व मध्यप्रदेश के सीएम से ट्वीट करके की है।

महाकाल भस्मारती दर्शन करने आई थीं
अरुणिमा सिन्हा रविवार को महाकाल भस्मारती दर्शन करने आई थीं। भीड़ अधिक होने से उन्हें कार्तिकेय मंडप में ही रोक दिया गया। भस्मारती बाद वे नंदी हॉल और गर्भगृह तक पहुंचने लगीं तो कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया। पत्रिका से चर्चा में अरुणिमा ने बताया कि मंदिर में दर्शन के लिए उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया।

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अब बनाएंगे शी-लाउंज
मंदिर में अरुणिमा के साथ हुई घटना के बाद अब मंदिर में शी-लाउंज बनाया जाएगा। प्रशासक अवधेश शर्मा के मुताबिक स्मार्ट सिटी के तहत बनने वाले लाउंज में महिलाओं के लिए सारी एसेसरिज रखी जाएंगी ताकि बाहर से आने वाले महिला दर्शनार्थी को परेशान नहीं होना पड़े।

हमने माफी मांगी, नियम भी बताया
नंदी हॉल में महिला और पुरुषों को प्रवेश के लिए डे्रस तय है। महिलाओं को शोला और साड़ी पहनने का नियम है। अरुणिमाजी ने ये नहीं पहने थे, इसलिए उन्हें रोका गया। मैंने उनसे माफी मांगते हुए नियम भी बताए। वे संतुष्ट होकर गई हैं। घटना के बाद मैंने वेबसाइट पर साड़ी-शोला पहनने का नियम उल्लेख करने को कहा है। प्रोटोकॉल के तहत उनके आने की सूचना मंदिर प्रशासन को नहीं मिली। -अवधेश शर्मा, प्रशासक, महाकाल मंदिर समिति

यहां खड़े पुलिसकर्मी व नीले कपड़े पहने व्यक्ति को मैंने कहा मैं चल नहीं सकती हूं, मुझे दर्शन करवा दो, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। उनके व्यवहार से मुझे रोना आ गया। एक दिव्यांग के साथ मंदिर में ऐसा बर्ताव क्यों किया? अरुणिमा का कहना है दर्शन के दौरान टी-शर्ट और लोअर पहन रखा था। यदि साड़ी पहनने का नियम है तो जानकारी मंदिर की बेवसाइट या बोर्ड में दी जानी चाहिए। मेरा यही कहना है जो व्यवहार मेरे साथ हुआ है ऐसा किसी दिव्यांग के साथ नहीं हो।