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कभी भी ढह सकता है महाकाल लोक! तीन-तीन किलो के 150 कंगूरों की पकड़ कमजोर

सॉल्यूशन की पकड़ कमजोर पड़ी, गुणवत्ता की उखड़ीं परतें: तीन किलो वजनी पत्थर 25 फीट ऊंचाई से गिरा

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सॉल्यूशन की पकड़ कमजोर पड़ी

उज्जैन. महाकाल लोक में भ्रष्टाचार के लगातार आरोप लगते रहे हैं और अब बार—बार होती दुर्घटनाओं से यह सामने भी आने लगा है। हाल ये है कि आंधी-बारिश ही नहीं, महाकाल लोक गर्मी भी नहीं झेल पा रहा। आंधी से गिरकर क्षतिग्रस्त हुईं सप्तऋषि की प्रतिमाओं के तीन दिन बाद एक और हादसा हो गया जब एक वजनी कंगूरा नीचे गिरा। सबसे बुरी बात तो यह है कि महाकाल लोक में ऐसे 150 से ज्यादा बड़े कंगूरे लगे हैं और इनकी पकड़ कमजोर हो चुकी है। ऐसे में कंगूरों के ढहने का खतरा बढ़ गया है।

महाकाल लोक में आंधी से गिरकर क्षतिग्रस्त हुईं सप्तऋषि की प्रतिमाओं के तीन दिन बाद गुरुवार को एक और हादसा हो गया। मुख्य द्वार के नजदीक त्रिवेणी मंडपम के पिलर में सुंदरता के लिए लगाए गए लाल पत्थर के कंगूरे में से एक उखड़कर नीचे गिर गया। पत्थर के नुकीला व वजनी होने के कारण नीचे टाइल्स भी चूर-चूर हो गई। गनीमत रही कि उस वक्त वहां कोई नहीं था, जबकि कुछ देर पहले ही कई श्रद्धालु नीचे से गुजरे थे। इस घटना से दूसरे कंगूरों के गिरने का खतरा भी दिखाई देने लगा है।

दरअसल महाकाल लोक में त्रिवेणी मंडपम के पिलरों में 150 से अधिक कंगूरे लगे हैं जिनकी पकड़ कमजोर पड़ रही है। यहां लगे एक कंगूरे का वजन करीब तीन किलो है, जिसे 25 फीट ऊंचाई पर सॉल्युशन से चिपकाया गया है। जानकारों के अनुसार गर्मी के कारण सॉल्यूशन की पकड़ कमजोर पड़ी और वह नीचे गिर गया। ऐसे में अन्य कंगूरों के भी गिरने का खतरा है। गर्मी में सॉल्यूशन की पकड़ कमजोर पड़ते ही ये सभी कंगूरे कभी भी गिर सकते हैं।

कंगूरा गिरने पर किसको जिम्मेदार ठहराया जाए— सप्तऋषियों की प्रतिमाओं के गिरने पर प्रशासन का कहना था कि क्वालिटी खराब नहीं थी, आंधी के कारण ऐसा हुआ। अब सवाल यह है कि कंगूरा गिरने पर किसको जिम्मेदार ठहराया जाए। बता दें कि लोकार्पण के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने महाकाल लोक बनाने वाले श्रमिकों के साथ यहीं पर भोजन कर उनका सम्मान किया था। इधर खंडित प्रतिमाओं को महाकाल लोक क्षेत्र से ही हटा दिया गया है।