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Mahakal Ujjain : खुदाई में मिले एक हजार साल पुराने शिवालय के अवशेष, इन्हीं से फिर बनेगा ‘भव्य मंदिर’

Mahakal Ujjain : वैसे तो यहां कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक मंदिर हैं, जिनकी कहानियां सुनकर हर कोई दंग रह जाता है। अब महाकाल परिसर में विस्तार के कारण की जा रही खुदाई में मिले एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेष की खासियत जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान...

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Mahakal Ujjain: महाकाल की नगरी उज्जैन न केवल धार्मिक नगरी, बल्कि यहां मंदिरों में होने वाले चमत्कार के कारण दुनिया भर में पहचानी जाती है। हर साल लाखों टूरिस्ट यहां आते हैं। टूरिस्ट की पहली पसंद उज्जैन को इसीलिए प्रदेश का टूरिस्ट डिपार्टमेंट नित नए आयाम दे रहे हैं। इसी कड़ी में अब जल्द ही टूरिस्ट को यहां एक और भव्य मंदिर देखने का मौका मिलेगा। वैसे तो यहां कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक मंदिर हैं, जिनकी कहानियां सुनकर हर कोई दंग रह जाता है। अब महाकाल परिसर में विस्तार के कारण की जा रही खुदाई में मिले एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेष की खासियत जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान...

परमारकालीन मंदिर के हैं अवशेष

दरअसल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 2020 में मंदिर के विस्तारीकरण के लिए खुदाई का कार्य किया गया था। खुदाई के दौरान परमारकालीन कुछ अवशेष मिले थे, जो एक हजार साल पुराने थे। 25 से 30 फीट की खुदाई के बाद प्राचीन मंदिर का ढांचा दिखाई दिया था और जब यहां और खुदाई की गई तो अंदर से शिवलिंग, नंदी गणेश और अन्य कई प्रतिमा मिली थीं। इसके बाद खुदाई को रोक कर इसे पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आगे बढ़ाया गया। जब पुरातत्व विशेषज्ञों ने इन अवशेषों की जांच की, तब सामने आया कि यह परमारकालीन है।

फिर से बनाया जाएगा मंदिर

आगे की खुदाई की गई तो सामने आया कि 11वीं 12वीं शताब्दी का एक मंदिर नीचे दबा हुआ है। अब एक्सपर्ट की देखरेख में यहां पर जो कुंभ भाग, स्तंभ, आमलक समेत अन्य अवशेष मिले हैं, उनकी नंबरिंग की जा चुकी है। निर्माण के दौरान जो हिस्सा जहां का है उसे वहीं पर स्थापित किया जाएगा।

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बारिश खत्म होते ही शुरू होगा काम

जानकारी के मुताबिक बारिश का मौसम खत्म होने के बाद मंदिर का आधार स्तंभ एक बार फिर खोला जाएगा और नींव से निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। निर्माण में जो पत्थर प्राप्त हुए हैं, उन्हीं का उपयोग किया जाएगा और पूरी तरह से एक अद्भुत मंदिर आकार लेगा। मंदिर निर्माण में अगर कोई भी हिस्सा कम पड़ता है, तो उसे बनवाकर यहां लगाया जाएगा। लेकिन इसे बनाते समय पौराणिकता का ध्यान रखते हुए इसका निर्माण किया जाएगा। अवशेषों को देखकर यह कहा जा रहा है कि 90 फीसदी पत्थर उपलब्ध हैं, ऐसे में केवल एक साल में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किए जाने की उम्मीद की जा रही है।

अब तक के प्रमाण बताते हैं ये था शिव मंदिर

पुरातत्वविदों की मानें तो जब भी किसी पौराणिक मंदिर के अवशेष मिलते हैं, तो यह किस देवता का है यह पता लगाने के लिए कुछ सिद्धांत हैं। मंदिर का द्वार, शाखा और सिर दल पर जो चिह्न हैं, उन्हें देखकर यह तय किया जाता है कि यह मंदिर किस भगवान का है। यदि गणेश जी हैं, तो यह शिव मंदिर कहलाता है और अगर गरुड़ जी बने हैं तो यह विष्णु मंदिर की पहचान है। इस मंदिर के आधार भाग को देखने पर पता चल पाएगा कि यह किस देवता या भगवान का मंदिर है। वहीं अब तक मिले अवशेषों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह शिव मंदिर हो सकता है।

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