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जब अफसर ने नहीं मानी थी मोहन यादव की बात, उग्र हो गए थे सीएम

CM Mohan Yadav : एमपी के शिक्षा मंत्री रहते हुए डॉ. मोहन यादव प्रदेश के कई अफसरों से किसी बात को लेकर नाराज हो गए थे। यादव ने अफसरों से तल्ख लहजे में बात की। करीब तीन घंटे तकसमर्थकों के साथ धरना भी दिया था। जानें क्या था मामला...

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Mohan Yadav became furious

Mohan Yadav became furious

Mohan Yadav Became Angry : मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री रहते हुए डॉ. मोहन यादव प्रदेश के कई अफसरों से किसी बात को लेकर नाराज हो गए थे। यादव ने अफसरों से तल्ख लहजे में बात की। दरअसल 27 जुलाई 2022 को अध्यक्ष पद के लिए मतदान हुआ था। भाजपा समर्थित सदस्यों का बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार विंध्या 12-0 से जीती थीं। कांग्रेस समर्थित नासिर पटेल निर्विरोध उपाध्यक्ष चुने गए थे। भाजपा समर्थित उम्मीदवार भंवरबाई(Bhanwar Bai) ने याचिका दायर की थी।

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उग्र हो गए थे डॉ. यादव

भाजपा समर्थित चार सदस्यों को वोट नहीं देने से तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव(Mohan Yadav Became Angry) ने अफसरों पर नाराजगी दिखाई। एडीएम संतोष टैगोर, पीठासीन अधिकारी जगदीश मेहरा और पुलिस अफसरों से भाजपा नेताओं को भाजपा से जुड़े जनपद सदस्यों को वोटिंग में शामिल करने को कहा, लेकिन अफसरों ने मना कर दिया। इस पर डॉ. यादव ने अफसरों से तल्ख लहजेमें बात की। करीब तीन घंटे तकसमर्थकों के साथ धरना दिया था।

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फेयर इलेक्शन नहीं हुए थे: भंवर बाई

याचिकाकर्ता भंवरबाई की ओर से अधिवक्ता कुलदीप भार्गव व अनंत यादव ने पैरवी की। अनंत ने बताया, 25 निर्वाचित सदस्यों को मतदान करना था, लेकिन 13 सदस्यों को मतदान से वंचित रखा गया। चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष नहीं रहा। 13 सदस्यों ने लिखित में उम्मीदवार भंवर बाई को समर्थन दिया था। अनंत के अनुसार, कोर्ट ने माना कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता का अभाव था। इस आधार पर चुनाव शून्य घोषित किया गया।

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भंवरबाई के पक्ष में फैसला

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जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव के करीब 30 महीने बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। इंदौर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने चुनाव शून्य घोषित कर अध्यक्ष का नया चुनाव कराने का आदेश दिया है। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस गजेंद्रसिंह ने याचिकाकर्ता भंवरबाई के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने जनपद पंचायत अध्यक्ष विंध्या पंवार को अपास्त कर दोबारा चुनाव के आदेश दिए हैं।