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नेकी की दीवार का सहारा बने मकबूल

अनुकरणीय पहल

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Maqbool supported by the wall of goodness

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उमरिया. नगर में संचालित नेकी की दीवार में कबाड़ का व्यवसाय कर रहे 58 वर्षीय मकबूल भाई निवासी खलेसर अचानक पहुंचे और अपनी जरूरत के पैंट, शर्ट एवं गर्म कंबल लेकर गये। तब से मकबूल भाई का जुनून नेकी की दीवार की ओर बढ़ा और नित अन्य जरूरत मंद लोगों को सामग्री दिलाना अपना कर्तव्य समझते हुए लाभान्वित कराने का क्रम आज भी जारी रखा है।
मकबूल भाई की वृद्ध मां जो कमर की हड्डी से पीडि़त है। उनकी सेवा बड़ी तन्मयता से करने के बाद अपने धंधे मे निकलते है, इसके पश्चात सायं प्रतिदिन नेकी की दीवार पहुंचकर जरूरत मंद गरीब, असहाय एवं निराश्रित व्यक्तियों को लाभान्वित कराना अपना कर्तव्य समझने लगे। मकबूल भाई ने कहा कि इससे बड़ा सुकून जीवन में कभी नही मिला। इतना ही नही मकबूल भाई नित नई-नई सामग्री भी नेकी की दीवार में लाकर सुलभ कराते हैं। जिसे लोग स्वेच्छा से ले जाते है। अपनी अंाखों के सामने सामग्री ले जाते देख उनके चेहरे पर खुशियां झलकती दिखाई पड़ती है। अब नेकी की दीवार जरूरत मंदों के लिए सहारा बन चुकी है।
मकबूल ने घूमने फिरने वाली छत्तीसगढ़ की एक कबाड़ी महिला को लेकर आये। जिसकी बोली भाषा कुछ अलग थी। वह विभिन्न शहरो में 10- 5 दिन ठहरकर गुजर बसर करते हुए अपने जन्म स्थली के लिए जाया करती रही। जब उससे मकबूल ने इशारों इशारों में कहा कि जो भी सामग्री उठाना हो नि:संकोच ले जाओ, संकोच एवं झिझकते हुए उसने साड़ी, ब्लाउज, स्वेटर, चप्पल एवं अन्य जरूरत की सामग्री उठाया, इसके पश्चात मकबूल ने उस गरीब महिला को छत्तीसगढ़ जाने के लिए स्वयं स्टेशन तक छोड़कर अपनी इतिश्री मानी। गौरतलब है कि आनंदम विभाग के अंतर्गत जिला मुख्यालय स्थित पुराने बस स्टैण्ड के नये स्थान पर नेकी की दीवार गत एक माह से संचालित की गई है। जिसमें अब तक तीन हजार से अधिक जरूरत मंद व्यक्तियों को आवश्यकता की सामग्री जैसे कंबल, शर्ट, पैंट, साड़ी, ब्लाउज, जूते, बच्चों के खिलौने आदि सहजतापूर्वक सुलभ हुआ है।