
एसटीएफ की गिरफ्त में फर्जी रजिस्ट्री गिरोह के सदस्य, पूछताछ के दौरान अहम सुराग मिले
LDA Land Scam Staff Under Investigation: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में सामने आए करोड़ों के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले ने उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की छानबीन के बाद अब इस घोटाले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.एलडीए के रिकॉर्ड से सीधे-सीधे 24 भूखंडों की फाइलें गायब हैं। यह वही भूखंड हैं जिनकी फर्जी रजिस्ट्री कर उन्हें तीसरे पक्ष को बेचा गया था।
जानकारी के मुताबिक एसटीएफ ने इस मामले में लखनऊ से एक फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इनमें अचलेश्वर गुप्ता उर्फ बबलू, मुकेश मौर्य उर्फ रंगी, धनंजय सिंह, राम बहादुर सिंह, राहुल सिंह और सचिन सिंह उर्फ अमर सिंह राठौर शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने संगठित तरीके से एलडीए के सरकारी प्लॉटों की नकली रजिस्ट्री कर उन्हें बाजार में बेच दिया।
गिरफ्तारी के दौरान एसटीएफ ने इनके पास से 23 फर्जी रजिस्ट्री के दस्तावेज, बैंक पासबुक, चेक बुक, सीपीयू, मॉनिटर, दो लग्जरी गाड़ियां क्रेटा और इनोवा भी जब्त की थीं। पूछताछ में इन आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने कई ऐसे भूखंड बेचे हैं, जो कि असल में एलडीए की संपत्ति थी और उनकी रजिस्ट्री पूरी तरह से जाली थी।
इसके बाद एसटीएफ ने लखनऊ विकास प्राधिकरण को पत्र भेजकर 45 ऐसे प्लॉटों की सूची दी, जिनकी रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े की आशंका जताई गई थी। एलडीए ने जब आंतरिक जांच शुरू की, तो पाया गया कि केवल 21 भूखंडों से जुड़ी फाइलें ही रिकॉर्ड में मौजूद हैं। बाकी की 24 फाइलें या तो हटा दी गई हैं या जानबूझकर गायब की गई हैं।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एलडीए प्रशासन ने अपने रिकॉर्ड विभाग में तैनात बाबुओं को तत्काल फाइलें खोजने का निर्देश दिया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद 24 फाइलों का कुछ भी पता नहीं चला। इससे अब यह आशंका और गहराती जा रही है कि इस फर्जीवाड़े में एलडीए के कुछ कर्मचारी या अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
फाइलों के लापता होने की सूचना मिलते ही एलडीए में अफरा-तफरी मच गई। उच्च अधिकारियों ने संबंधित रिकॉर्ड विभाग से जवाब-तलब करना शुरू कर दिया है। इस बात की भी जांच हो रही है कि ये फाइलें कब और कैसे गायब की गई, और क्या इसके पीछे अंदरूनी सांठगांठ है।
सूत्रों के अनुसार अगर फाइलें जानबूझकर हटाई गई है, तो यह न केवल भ्रष्टाचार का मामला है बल्कि आपराधिक साजिश के तहत भी देखा जाना चाहिए। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्राधिकरण अब इन गायब फाइलों की सीबीआई या ईडी जैसी एजेंसियों से जांच कराने पर भी विचार कर रहा है।
एसटीएफ द्वारा पकड़े गए 6 लोगों से मिले सुराग इस ओर इशारा कर रहे हैं कि गिरोह का नेटवर्क सिर्फ लखनऊ तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार प्रदेश के अन्य शहरों और संभवतः अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। यह गिरोह वर्षों से एलडीए की कमजोरियों का फायदा उठाकर सरकारी संपत्ति को निजी संपत्ति के रूप में बेचता आ रहा था। एसटीएफ की अगली कार्रवाई इसी नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने की होगी। इसके लिए बैंक लेन-देन, कॉल रिकॉर्ड, संपत्ति खरीदने वालों की सूची समेत डिजिटल डेटा की फॉरेंसिक जांच की जा रही है।
इस पूरे मामले ने जनता के बीच भी गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। जिन लोगों ने भूखंड खरीदे हैं, वे अब ठगे जाने का अनुभव कर रहे हैं। आमजन यह सवाल उठा रहे हैं कि यदि एलडीए जैसे सरकारी संस्थान की फाइलें इतनी आसानी से गायब हो सकती हैं, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस करेगा? विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल खड़ा हो गया है कि कैसे इतने लंबे समय तक यह फर्जीवाड़ा चलता रहा और किसी ने संज्ञान नहीं लिया।
Updated on:
03 May 2025 07:49 am
Published on:
03 May 2025 07:48 am
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