
वाराणसी में बनेगा देश का पहला सिग्नेचर ब्रिज, रेल मंत्री ने साझा किया डिज़ाइन
Varanasi and Chandauli Signature bridge to connect: भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र वाराणसी अब एक और ऐतिहासिक संरचना का गवाह बनने जा रहा है। गंगा नदी पर देश का पहला सिग्नेचर ब्रिज बनने जा रहा है, जो वाराणसी और चंदौली को सीधे तौर पर जोड़ेगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इस परियोजना की विस्तृत जानकारी साझा की और इसके डिज़ाइन और लागत का खुलासा किया।
इस सिग्नेचर ब्रिज का उद्देश्य काशी और चंदौली के बीच यातायात को सुगम बनाना ही नहीं है, बल्कि बिहार, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों को भी इससे फायदा होगा। ब्रिज के निर्माण के लिए 2642 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है, और इसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका ब्लूप्रिंट चार लेन का रेलवे ट्रैक और सिक्स लेन की सड़क को शामिल करता है, जिससे सड़क और रेल दोनों परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
इस सिग्नेचर ब्रिज का डिज़ाइन 150 साल के लिए तैयार किया गया है, जिससे यह भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के एक नए युग की शुरुआत करेगा। इसकी संरचना में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। ब्रिज का फाउंडेशन गंगा नदी की सतह से 120 फीट गहराई तक होगा, जो इसे अधिक मजबूती देगा। इस ब्रिज को एक आइकोनिक स्ट्रक्चर के रूप में डिजाइन किया गया है, जो न केवल शहर के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन माध्यम होगा, बल्कि एक पर्यटक आकर्षण भी बनेगा।
यह सिग्नेचर ब्रिज मालवीय पुल के 50 मीटर समानांतर में बनेगा, जो 137 साल पुराना है और अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है। मालवीय पुल से वर्तमान में ट्रेनें 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं, जबकि नए सिग्नेचर ब्रिज पर ट्रेनें 90 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। इससे यातायात की गति में तेजी आएगी और समय की बचत होगी।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस सिग्नेचर ब्रिज की कुल लंबाई 1074 मीटर होगी और इसे गंगा नदी में 08 पिलर के सहारे खड़ा किया जाएगा। ब्रिज में चार लेन का रेलवे ट्रैक और सिक्स लेन की सड़क होगी, जिससे सड़क और रेल यातायात दोनों को सुगमता से संचालित किया जा सकेगा। यह ब्रिज वाराणसी स्टेशन के द्वितीय प्रवेश द्वार के पास स्थित होगा और नमो घाट से सटा होगा।
रेल मंत्री ने इस परियोजना की पर्यावरणीय महत्वता पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह ब्रिज न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। इस ब्रिज के निर्माण से लगभग 149 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा, जो लगभग 6 करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर है। इससे देश की लॉजिस्टिक्स लागत में भी कमी आएगी और भारत के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।
रेलमार्ग के अलावा, सड़क और जलमार्ग को भी इस प्रोजेक्ट में सम्मिलित किया गया है, जिससे कुल परिवहन व्यवस्था को और अधिक किफायती और टिकाऊ बनाया जा सकेगा।
सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण को लेकर सरकार ने सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर लिया है। पिछले माह कमिश्नरी सभागार में हुई बैठक में नगर निगम, उत्तर रेलवे, पीडब्ल्यूडी, जलकल, बिजली विभाग और पुलिस विभाग समेत कई अन्य संस्थानों ने परियोजना के लिए अपनी सहमति व्यक्त की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी विभाग पुल निर्माण में आपसी सहयोग और समन्वय के साथ कार्य करेंगे, ताकि परियोजना का कार्य सुचारू रूप से पूरा हो सके।
मालवीय पुल से वर्तमान में यात्री ट्रेनें सिर्फ 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरती हैं, जबकि मालगाड़ियां और भी धीमी होती हैं। नए सिग्नेचर ब्रिज पर चार लेन का रेलवे ट्रैक बिछने के बाद, यात्री ट्रेनें 90 से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगी। इससे यात्रा का समय कम होगा और रेल परिवहन में क्रांति आएगी।
.लंबाई: 1074 मीटर
.पिलर्स की संख्या: 08
.कुल लागत: 2642 करोड़ रुपये
.रेलवे ट्रैक: 04 लेन
.सड़क मार्ग: 06 लेन
.निर्माण का समय: 04 साल
.यात्रा की रफ्तार: ट्रेनें 90-100 किमी प्रति घंटा
यह सिग्नेचर ब्रिज वाराणसी के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट साबित होगा। इसके बनने से न केवल वाराणसी और चंदौली के बीच यातायात सुगम होगा, बल्कि बिहार, एमपी और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। यह ब्रिज भविष्य में काशी के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा और शहर की परिवहन व्यवस्था को और बेहतर बनाएगा।
Published on:
17 Oct 2024 08:14 am
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