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UP Assembly Elections 2022: भाजपा को याद आए लक्ष्मीकांत वाजपेयी, दूसरी पार्टी से आए नेताओं की करेंगे स्क्रीनिंग

UP Assembly Elections 2022: पार्टी और प्रदेश की सियासत में काफी लंबे समय से हाशिए पर चल रहे भाजपा के दिग्गज ब्राह्मण नेता डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी का चुनाव नजदीक आने पर वनवास टूटा है। जिसके बाद उन्हें ज्वाइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने जिम्मेदारी सौंपी है। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नजदीकी रहे इस दिग्गज भाजपाई की पार्टी को फर्श से अर्श पर पहुंचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

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मेरठ

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Nitish Pandey

Nov 06, 2021

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UP Assembly Elections 2022: कभी एक वो दौर था जब भाजपा के दिग्गज नेता डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की तूती लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बोलती थी। पार्टी भले ही उन दिनों विपक्ष की भूमिका निभाती रही हो लेकिन डॉ. लक्ष्मीकांत अपनी बेकाबी और साफगोई के कारण हमेशा सुर्खियों में रहा करते थे। प्रदेश में भाजपा की सरकार 2017 में बनी, लेकिन विधानसभा चुनाव में डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी मेरठ शहर सीट से चुनाव हार गए। उसके बाद से वे पार्टी में भी हाशिए पर ढकेल दिए गए।

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दलबदलू नेताओं की स्क्रीनिंग करेंगे वाजपेयी

कई साल तक गुमनामी में रहे भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को अब चुनाव नजदीक आते ही अहम जिम्मेदारी सौंपी है। अन्य दलों से भाजपा में एंट्री करने वाले दलबदलू नेताओं की डॉ. वाजपेयी स्क्रीनिंग करेंगे, उसके बाद ही पार्टी की सदस्यता दिलवाई जाएगी। यानी डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की सहमति के बाद ही बाहरी नेताओं को भाजपा में शामिल किया जाएगा।

बेहद महत्वपूर्ण है ज्वाइनिंग कमेटी

ज्वाइनिंग कमेटी का महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें डॉ. वाजपेयी के साथ प्रदेश सरकार के दोनों उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा भी सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं। बता दें कि लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने सांसद रीता बहुगुणा जोशी के घर जलाने वाले को भाजपा में शामिल करने का सीधा विरोध किया था, जिसके बाद पार्टी में उसे निष्कासित कर दिया था।

चुनावी मोड में भाजपा फूंक-फूंक कर रख रही कदम

2022 के विधानसभा चुनाव के मददेनजर भाजपा अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने प्रदेश की जिस ज्वाइनिंग कमेटी की घोषणा की है। उनमें डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को अध्यक्ष जबकि केशव मौर्य, दिनेश शर्मा और दयाशंकर सिंह सदस्य बनाए गए हैं। वाजपेयी को यह नई ताजपोशी केंद्रीय टीम के इशारे पर दी गयी है। भाजपा इस बार चुनावी मौसम में दूसरे दल से आने वाले बाहरी चेहरों को पार्टी में लेने से पहले विशेष एहतियात बरतेगी। इस कारण वाजपेयी को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है।

पांच साल से थे हाशिए पर

अप्रैल 2016 में प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटने बाद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का राजनैतिक ग्राफ नीचे गिर गया था। वर्ष 2017 में डॉ. लक्ष्मीकांत हिंदू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के चलते विधानसभा चुनाव शहर की सीट से हार गए थे। उसके बाद हाशिए पर गए लक्ष्मीकांत को न तो राज्यसभा और विधान परिषद में वरीयता दी गई और न कोई अहम जिम्मेदारी। जबकि उनके जूनियर रहे नेताओं को राज्यसभा और विधान परिषद का सदस्य बना दिया गया। कई बार उनका नाम राज्यपाल के रूप में भी उछला। हालांकि इन सबसे बेखबर डॉ. लक्ष्मी कांत वाजपेयी शांत रहे।

2016 तक थे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष

मेरठ में जन्मे डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी 1977 में जनता पार्टी के युवा मोर्चा मेरठ के अध्यक्ष बने। 1980-87 के दौरान जिला भाजपा के महासचिव था। 1984-86 प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष थे। शहर विधानसभा से तीन बार विधायक चुने गए। 1997 में मायावती की अगुवाई वाली मिलीजुली सरकार में पशुधन विकास मंत्री भी बनाए गए। दिसंबर 2012 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए। 2014 लोकसभा चुनावों में मोदी लहर और वाजपेयी की मेहनत से भाजपा ने सूबे की 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की। वो अप्रैल 2016 तक यूपी के अध्यक्ष रहे हैं।

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