
उपभोक्ताओं को जल्द ही महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा
UPPCL: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नया वित्तीय झटका सामने आया है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों में औसतन 10-15% की बढ़ोतरी का फैसला लिया है। यह कदम वर्ष 2025-26 के लिए पावर कॉर्पोरेशन द्वारा प्रस्तावित 1.16 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) के तहत उठाया गया है। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के उपभोक्ताओं पर आर्थिक भार बढ़ेगा
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने 2025-26 के लिए ARR दाखिल किया, जिसमें लगभग 13,000 करोड़ रुपये का घाटा दर्शाया गया। इस घाटे को पूरा करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी आवश्यक बताई गई। राज्य में कुल बिजली खपत 16,000 करोड़ यूनिट तक पहुंचने की संभावना है, जबकि बिजली की खरीद लागत 92,000 करोड़ रुपये से 95,000 करोड़ रुपये के बीच अनुमानित है
शहरी उपभोक्ताओं के लिए नई दरें
0-100 यूनिट: ₹5.50 से बढ़कर ₹6.15 प्रति यूनिट
101-300 यूनिट: ₹6.00 से बढ़कर ₹6.90 प्रति यूनिट
300 यूनिट से अधिक: ₹6.50 से ₹7.25 प्रति यूनिट
0-100 यूनिट: ₹3.35 से बढ़कर ₹3.85 प्रति यूनिट
101-300 यूनिट: ₹5.00 से ₹5.75 प्रति यूनिट
300 यूनिट से अधिक: ₹5.50 से ₹6.30 प्रति यूनिट
औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10% और छोटे व्यवसायों के लिए 12% तक की वृद्धि की गई है
बिजली दरों में वृद्धि पर उपभोक्ता परिषद और कर्मचारी संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह कदम निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ARR मसौदे में उपभोक्ताओं के 33,122 करोड़ रुपये के बकाया का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस बोझ को आम उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है
विरोधी संगठनों ने यह भी आरोप लगाया है कि यह प्रस्ताव बिना किसी सार्वजनिक परामर्श के गुपचुप तरीके से दाखिल किया गया। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में इसका विरोध दर्ज करने का निर्णय लिया है और आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी है
इसके साथ ही, राज्य सरकार ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल क्षेत्रों में बिजली वितरण का निजीकरण करने की योजना पर भी काम शुरू किया है। इस प्रस्ताव ने राज्य के बिजली कर्मचारियों और संगठनों में और अधिक गुस्सा भड़का दिया है। कर्मचारियों का मानना है कि यह निर्णय जनता और राज्य के हितों के खिलाफ है
नई दरों के लागू होने से घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को हर महीने अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली दरों में 15% तक की वृद्धि के कारण किसानों और छोटे उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर पड़ेगा।
औद्योगिक दरों में वृद्धि से उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे बाजार में उत्पादों की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है। यह वृद्धि निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि, बिजली कंपनियों का कहना है कि घाटे की भरपाई और बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए यह कदम जरूरी है। अब यह देखना होगा कि इस फैसले पर उपभोक्ताओं और संगठनों का विरोध कितनी दूर तक जाता है और इसका राज्य की ऊर्जा नीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।
Published on:
03 Dec 2024 07:56 am
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