एयरपोर्ट अथारिटी ने इस मामले की रिपोर्ट मांगी है जबकि एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही सीआईएसएफ के अधिकारियों ने भी वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिये जाने की जांच शुरू की है। सूत्रों की माने तो जांच रिपोर्ट में जो दोषी मिलेगा। उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। अतीक अहमद को जिस तरह से सुविधा मिली थी उससे साफ हो गया है कि सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में भी बाहुबली का जलवा कायम है। देवरिया जेल की घटना ने भी इस बात को साबित किया था। देवरिया जेल में रहने के दौरान अतीक अहमद पर दो प्रॉपटी बिल्डर को मारने का आरोप लगा था। आरोप की माने तो जेल के अंदर ही पिटाई की गयी थी। इस मामले ने तूल पकड़ा तो सरकार ने हमेशा की तरह सख्त कार्रवाई करने की बात कहते हुए अतीक को दूसरी जेल में भेज दिया था। बनारस से पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नामांकन करने वाले अतीक अहमद को नैनी जेल में रखा गया था जहां से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद फूलपुर के पूर्व सांसद को अहमदाबाद जेल भेजा गया था जहां पर तलाशी के दौरान पूर्व सांसद के पास से पैसे व कैची मिली थी इसके बाद उन्हें स्पेशल सेल में डाला गया।
यह भी पढ़े:-महिला प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप, किया सड़क जाम
यह भी पढ़े:-महिला प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप, किया सड़क जाम
मायावती के शासन में अतीक अहमद को उठानी पड़ी थी सबसे अधिक परेशानी
सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के खास माने जाने वाले अतीक अहमद को सबसे अधिक परेशानी मायावती के शासन में उठानी पड़ी थी। बसपा सराकर के समय अतीक की कई इमारतों को गिरा दिया गया था और आपराधिक आरोपों में सख्त कार्रवाई की गयी थी। बाद में सपा सरकार आते ही अतीक अहमद को फिर राहत मिल गयी थी। अखिलेश यादव से मनमुटाव होने के बाद अतीक अहमद का सपा से टिकट कट गया था इसके बाद बाहुबली अतीक अहमद ने सपा को छोड़ कर निर्दल ही चुनावी मैदान में भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
यह भी पढ़े:-मुस्लिमों ने ईद की सेवई खिलाकर दी सीएम योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई
सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के खास माने जाने वाले अतीक अहमद को सबसे अधिक परेशानी मायावती के शासन में उठानी पड़ी थी। बसपा सराकर के समय अतीक की कई इमारतों को गिरा दिया गया था और आपराधिक आरोपों में सख्त कार्रवाई की गयी थी। बाद में सपा सरकार आते ही अतीक अहमद को फिर राहत मिल गयी थी। अखिलेश यादव से मनमुटाव होने के बाद अतीक अहमद का सपा से टिकट कट गया था इसके बाद बाहुबली अतीक अहमद ने सपा को छोड़ कर निर्दल ही चुनावी मैदान में भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
यह भी पढ़े:-मुस्लिमों ने ईद की सेवई खिलाकर दी सीएम योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई
बसपा विधाय राजू पाल की हत्या में आया था अतीक अहमद का नाम
अतीक अहमद पर लगभग पांच दर्जन मुकदमे दर्ज है। अतीक अहमद का नाम सबसे अधिक चर्चा में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में आया था। 25 जनवरी 2005 को दोपहर के तीन बजे शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल दो गाडिय़ों के काफिले के साथ धूमनगंज के नीवां में घर लौट रहे थे। बसपा विधायक राजू पाल खुद क्वालिस चल रहे थे बगल में उनके दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी थी। राजू पाल के साथ संदीप यादव और देवीलाल भी थे पीछे चल रही स्कार्पियो में चालक महेन्द्र पटेल, ओमप्रकाश, सैफ समेत चार लोग सवार थे। दोनों ही वाहन में सरकारी असलहे के साथ एक-एक सिपाही भी बैठे थे। सुलेमसराय में जीटी रोड के सामने अज्ञात लोगों ने बसपा विधायक के वाहन को रोकर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू की थी। इतनी जबरदस्त गोली चलायी गयी थी कि पूरे क्षेत्र में भगदड़ मच गयी थी। भागने में तमाम वाहन आपस में टकरा गये थे। गोलीबारी की सूचना पर वहां पर कई थानों की फोर्स पहुंची थी और सभी घायलों को अस्पताल लाया गया था जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। राजू पाल की नवविवाहिता पत्नी पूजा पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में सपा सांसद अतीक अहमद, उनके छोटे भाई अशरफ समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि वर्ष २००४ में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा नेता राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हराया था इसलिए बसपा विधायक की हत्या की गयी थी। यूपी की सियासत में इस मामले ने इतना अधिक तूल पकड़ा था कि खुद मायावती ने जाकर पूजा पाल से भेट की थी और कहा था कि उनकी सरकार आयेगी तो दोषियो पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
यह भी पढ़े:-बसपा सांसद अतुल राय को फिर लगा झटका, कोर्ट ने सुनाया यह निर्णय
अतीक अहमद पर लगभग पांच दर्जन मुकदमे दर्ज है। अतीक अहमद का नाम सबसे अधिक चर्चा में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में आया था। 25 जनवरी 2005 को दोपहर के तीन बजे शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल दो गाडिय़ों के काफिले के साथ धूमनगंज के नीवां में घर लौट रहे थे। बसपा विधायक राजू पाल खुद क्वालिस चल रहे थे बगल में उनके दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी थी। राजू पाल के साथ संदीप यादव और देवीलाल भी थे पीछे चल रही स्कार्पियो में चालक महेन्द्र पटेल, ओमप्रकाश, सैफ समेत चार लोग सवार थे। दोनों ही वाहन में सरकारी असलहे के साथ एक-एक सिपाही भी बैठे थे। सुलेमसराय में जीटी रोड के सामने अज्ञात लोगों ने बसपा विधायक के वाहन को रोकर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू की थी। इतनी जबरदस्त गोली चलायी गयी थी कि पूरे क्षेत्र में भगदड़ मच गयी थी। भागने में तमाम वाहन आपस में टकरा गये थे। गोलीबारी की सूचना पर वहां पर कई थानों की फोर्स पहुंची थी और सभी घायलों को अस्पताल लाया गया था जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। राजू पाल की नवविवाहिता पत्नी पूजा पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में सपा सांसद अतीक अहमद, उनके छोटे भाई अशरफ समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि वर्ष २००४ में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा नेता राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हराया था इसलिए बसपा विधायक की हत्या की गयी थी। यूपी की सियासत में इस मामले ने इतना अधिक तूल पकड़ा था कि खुद मायावती ने जाकर पूजा पाल से भेट की थी और कहा था कि उनकी सरकार आयेगी तो दोषियो पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
यह भी पढ़े:-बसपा सांसद अतुल राय को फिर लगा झटका, कोर्ट ने सुनाया यह निर्णय