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मुलायम की राह पर चले अखिलेश यादव तो उठानी पड़ सकती है बड़ी परेशानी

लोकसभा चुनाव 2019 में सपा को लग चुका है झटका, मायावती से गठबंधन भी पार्टी की नहीं बढ़ा सका सीट

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Akhilesh yadav and Mulayam Singh yadav

Akhilesh yadav and Mulayam Singh yadav

वाराणसी. मुलायम सिंह यादव की राह पर अखिलेश यादव चलते हैं तो उन्हें बड़ा झटका लग सकता है। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा को तगड़ा झटका लगा है। मुलायम सिंह यादव परिवार के कई सदस्य चुनाव हार गये हैं। मायावती की पार्टी बसपा से गठबंधन करना भी सपा के काम नहीं आया है। ऐसे में यूपी में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सपा को मजबूत करने की बड़ी चुनाती पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को मिली है।
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वर्ष 2014 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी की लहर रोकने के लिए मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़े थे। मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर बीजेपी के बाहुबली नेता रमाकांत यादव को पटखनी देकर चुनाव जीता था लेकिन उसके बाद मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ का अधिक दौरा नहीं किया था, जिसके चलते स्थानीय लोगों में मुलायम सिंह यादव को लेकर आक्रोश हो गया था। संसदीय चुनाव 2019 में पिता की राह पर चलते हुए अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ा था और बीजेपी के प्रत्याशी व भोजपुरी स्टार दिनेश लाल निरहुआ को लाखों वोटों के अंतर से हराया था। आजमगढ़ की जनता को धन्यवाद देने अखिलेश यादव सोमवार को वहां पर पहुंचे हैं।
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जानिए मुलायम सिंह यादव की राह पर चलने पर अखिलेश यादव को कैसे उठाना होगा नुकसान
अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती यूपी चुनाव 2022 है। यदि अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तरह आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से दूरी बना लेते हैं तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। आजमगढ़ का यादव व मुस्लिम समीकरण हमेशा से सपा को लाभ पहुंचाता आया है। बीजेपी ने सपा व बसपा गठबंधन हो जाने के बाद जिस तरह से सपा के वोट बैंक में सेंधमारी की है उससे सपा की परेशानी बढ़ गयी है। शिवपाल यादव भी सपा से अलग होकर राजनीति के मैदान में डटे हुए हैं। ऐसे में अखिलेश यादव को अपने संसदीय क्षेत्र का खास ध्यान रखना होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो फिर सपा को झटका लग सकता है।
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आजमगढ़ जिले में 10 विधानसभा में आती है
आजमगढ़ जिले की बात की जाये तो यहां पर 10 विधानसभा आती है। पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर के बाद भी बीजेपी यूपी चुनाव 2017 में एक ही विधानसभा जीत पायी थी। इससे समझा जा सकता है कि आजमगढ़ में बीजेपी की राह कितनी कठिन रहती है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ जिले में बीजेपी की ताकत बढ़ाने के लिए वहां पर विश्वविद्यालय देने की बात कही है। ऐसे में अखिलेश यादव अब आजमगढ़ से दूरी बनाते हैं तो बीजेपी को अपनी जमीन मजबूत करने का मौका मिल जायेगा।
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पांच पर सपा व चार विधानसभा में बसपा को मिली थी जीत
आजमगढ़ की पांच विधानसभा पर सपा के विधायक है यह विधानसभा आजमगढ़, अतरौलिया, निजामाबाद, मेंहनगर व गोपालपुर है जबकि बसपा को सगड़ी, मुबारकपुर, लालगंज व दीदारगंज विधानसभा में जीत मिली थी। बीजेपी को फूलपुर पवई सीट पर ही प्रत्याशी जिताने का मौका मिला था। ऐसे में यूपी चुनाव 2022 में यहां की 10 सीटों को लेकर सभी दलों में एक बार फिर से जोर आजमाइश हो सकती है।
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