वाराणसी. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के खेल मैदान अब बीजेपी के युवा उद्घोष की भेंट चढ़ चुका है। इसी मैदान पर 20 जनवरी को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनसभा को संबोधित किया था। मैदान में बैरिकेटिंग लगाने के लिए तीन हजार से अधिक गड्ढे कर दिये गये थे, जिसके चलते मैदान बर्बाद हो गया है और बिना सही ढंग से गड्ढो को भरे इस पर खेलान खिलाडिय़ों के लिए भारी पड़ जायेगा।
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काशी विद्यापीठ के खेल मैदान में 20 जनवरी को बीजेपी का युवा उद्घोष कार्यक्रम आयोजित किया गया था। बीजेपी का दावा था कि यह राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उनके विचारों को अगवत कराने के लिए ही यह कार्यक्रम कराया गया था। कार्यक्रम के लिए खेल मैदान में बैरिकेटिंग की गयी थी। सभा में कई ब्लाक के लोगों को बुलाया गया था इसलिए खेल मैदान में कई ब्लाक बनाने के लिए भी बैरिकेटिंग हुई थी, जिसके चलते मैदान में गड्ढे खोदे गये थे। बीजेपी का कार्यक्रम खत्म हो चुका है और खेल मैदान से बैरिकेटिंग हटायी जा रही है। बीजेपी ने थोड़ी राहत देते हुए बैरिकेटिंग वाले गड्ढे को मिट्टी से भरने का भी इंतजाम किया गया है इसके बाद भी खेल मैदान की सेहत सुधरने वाली नहीं है।
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जानिए खिलाडिय़ों के लिए क्यों घातक हो गया खेल मैदान
मैदान में दौड़ते समय खिलाड़ी का पैर गड्ढे में पड़ जाता है तो पैर टूटना तय है। गड्ढे में मिट्टी डालने को अधिक फायदा नहीं होगा। गड्ढे पर पानी पड़ते ही मिट्टी बैठ जायेगी और फिर से वहां पर गड्ढा हो जायेगा। मैदान की सेहत जल्द नहीं सुधारी गयी तो वहां पर घास उग आयेगी और फिर गड्ढे दिखायी नहीं देंगे। मैदान से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एक माह से काम समय में मैदान को ठीक नहीं किया जा सकता है कम से कम दो बार तीन हजार से अधिक गड्ढे को दो बार पानी से भरने के बाद मिट्टी डाली जायेगी। इसके बाद ही मैदान ठीक हो पायेगा।
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कार्य परिषद् की संस्तुति को दरकिनार करके दिया गया खेल मैदान, क्या वीसी को मिलेगा इनाम
काशी विद्यापीठ में लोगों ने दबी जुबान में स्वीकार किया कि पूर्व वीसी प्रो.सुरेन्द्र सिंह के समय कार्य परिषद् ने एक नियम पास किया था, जिसमे कहा गया था कि खेल के अतिरिक्त अन्य किसी काम के लिए यह मैदान नहीं दिया जायेगा। इसके बाद भी काशी विद्यापीठ प्रशासन ने नियमों के दरकिनार करके खेल मैदान दे दिया है। इससे पहले खेल मैदान में संसदीय चुनाव 2014 में नामांकन के लिए गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी का हेलिकाफ्टर उतरा था और फिर वीसी का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ गया था। इस बार वीसी का कार्यकाल फरवरी में खत्म हो रहा है। बीजेपी पहले से ही विश्वविद्यालय प्रशासन से खुश है इसलिए वीसी को फिर से इनाम मिल सकता है।
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