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बनारस से प्रत्याशी बनने के बाद गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी की बेनियाबाग में ८ अप्रैल को सभा कराने की बीजेपी ने तैयारी थी। बनारस के जिला प्रशासन ने पहले ही मैदान बुक हो जाने के कारण सभा की अनुमति नहीं दी थी। नरेन्द्र मोदी की चुनावी कमान संभाल रहे अरूण जेटली ने इस मौके को जबरदस्त भुनाया था। उन्होंने बनारस के तत्कालीन डीएम प्रांजल यादव पर सपा सरकार से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया था। इसके बाद अरूण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस करके जिला प्रशासन पर सपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था उसके बाद ऐसा माहौल बनाया गया कि जनता को लगने लगा कि नरेन्द्र मोदी की सभा को जबरदस्ती रोका गया था इससे लोगों का जुड़ाव नरेन्द्र मोदी के साथ बढऩे लगा। अरूण जेटली ने अमित शाह के साथ मिल कर लंका पर धरना भी दिया था इसके बाद घर-घर पर्ची बंटवायी थी जिसमे कहा गया था कि नरेन्द्र मोदी का सभा करने से रोका गया था। अरूण जेटली की रणनीति बेहद कारगर हुई थी और काशी की जनता में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी को लेकर सिम्पैथी हुई थी जिसके बाद नरेन्द्र मोदी लाखों वोटों के अंतर से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। उसके बाद बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह भी अरूण जेटली के मुरीद हो गये थे। बीजेपी से जुड़े लोगों की माने तो Arun jaitley की रणनीति का कमाल था कि नरेन्द्र मोदी आराम से चुनाव जीत गये थे। बीजेपी या फिर पार्टी नेताओं पर किसी प्रकार की दिक्कत आती थी तो अरूण जेटली ही संकट मोचक बन कर सामने आते थे और सभी समस्या का समाधान करते थे। अरूण जेटली का निधन बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। पार्टी में जेटली की कमी दूर नहीं हो पायेगी। काशी क्षेत्र मीडिया सम्पर्क प्रमुख सोमनाथ विश्वकर्मा ने बताया कि पहली बार नरेन्द्र मोदी यहां पर चुनाव लड़े थे तो अरूण जेटली की रणनीति बहुत काम आयी थी और नरेन्द्र मोदी के लिए धरना-प्रदर्शन तक किया था पार्टी में जेटली जी की कमी कभी दूर नहीं हो सकती है।
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