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BHU में मिलता है खराब खाना, शिकायत करने पर वार्डेन कहती है हॉस्टल से निकाल देंगे

BHU में खराब खाने को लेकर सोमवार रात को शुरू हुआ प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी है। सभी लड़कियां खाने की थाली रोड पर रखकर प्रदर्शन कर रही हैं।

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BHU यानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 200 से ज्यादा PHD की लड़कियों ने शिकायत की। मेस में खाना अच्छा नहीं मिलता। जिस वजह से सभी छात्राएं, वाइस चांसलर सुधीर जैन के घर के बाहर नारेबाजी कर रही हैं। उनकी मांग है कि जब तक खुद वाइस चांसलर आकर उनकी बात नहीं सुनेंगे यह धरना खत्म नहीं होगा। ।

छात्राओं ने पूछा सवाल- क्या छात्राओं को ऐसा भोजना मिलना चाहिए?
मीडिया को मेस की थाली दिखाते हुए छात्राओं ने सवाल किया, “क्या रिसर्च की छात्राओं को ऐसा घटिया भोजन मिलना चाहिए? उबले हुए फ्राइड राइस, कच्चे चावल और ऑयली फूड्स। ये खाना हमें नुकसान पहुंचाएगा। हम ये खाना अब और नहीं खा सकते। इस खाने की वजह से हमारी तबीयत खराब हो जाती है। पेट में दर्द के साथ उल्टी होने लगती है।”

छात्रा बोलीं- मैं दिल्ली और नैनीताल यूनिवर्सिटी में पढ़ी, मगर ऐसा खाना कहीं नहीं मिला
एक छात्रा ने बताया, "हर महीने में 5 दिन पीरियड्स के होते हैं। उस दौरान भी हमें बेहद खराब न्यूट्रीशन और क्वालिटी वाला खाना दिया जाता है। जबकि, उस वक्त हमें अच्छा खाना चाहिए होता है। यहां धरने पर आईं कई लड़कियों के पीरियड्स चल रहे हैं। हर लड़की इस खाने से परेशान है। सबका कहना है कि अलग-अलग शहरों से आकर हम यहां पढ़ रहे हैं। हमें खाना भी अच्छा मिलना चाहिए।”

दिनभर इलाज और रात में बीमार करने वाला खाना
मेडिकल की एक छात्रा ने कहा, "हम डॉक्टरी की पढ़ाई करके BHU जैसी यूनिवर्सिटी में आए। दिन भर अस्पताल की OT, OPD और लैब में काम रहते हैं। हॉस्टल में आने के बाद ये बीमार करने वाला खाना मिलता है। जबकि, हॉस्टल को हम साल का 20 हजार रुपए देते हैं।”

छात्राओं ने कहा, “धरने से पहले हमने वार्डेन, डीन ऑफ स्टूडेंट से लेकर वाइस चांसलर तक को मेल करके शिकायत की थी। अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। अब जब तक हॉस्टल में सुविधाएं ठीक नहीं होंगी, हम धरने से नहीं हटेंगे।"

10 समस्याओं पर हो रहा है विरोध-प्रदर्शन
पीने का पानी साफ नहीं मिलता है न ही हॉस्टल में साफ-सफाई है।
8 फ्लोर के हॉस्टल में सिर्फ 4 लीटर के केवल दो वाटर प्यूरीफायर लगे हुए हैं।
7 महीने से हॉस्टल में WI-FI की व्यवस्था नहीं हुई। जबकि एनुअल फीस 20 हजार जमा करते हैं।
एक मेस में 250 छात्राओं के भोजन करने के लिए लंबी लाइन लग जाती है। खाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।
मेस में छात्राओं को सिंथेटिक दूध प्रोवाइड कराया जाता है।
सब्जी में आरारोट और कॉर्न स्टार्च डालकर ग्रेवी तैयार की जाती है।
ग्रेवी, दही और छाछ में टार्टरिक एसिड का इस्तेमाल होता है।
मेस में काम करने वाले लोग छात्राओं को बुरी नजर से देखते हैं।
खाना परोसने वाला स्टाफ भी लड़कियों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करता।
वार्डेन और मेस स्टाफ छात्राओं को शिकायत करने पर धमकी देते हैं।

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अपनी समस्या बताओ, तो मिलती है निकालने की धमकी
धरने पर बैठी छात्राओं ने कहा, “जब वे अपनी समस्याओं को लेकर अपने वार्डेन के पास जाती हैं तो वह चिल्लाकर हमें भगा देती हैं। हॉस्टल से निकालने की धमकी देती हैं। बेइज्जत करती हैं। जिस वजह से कोई आगे शिकायत नहीं करता। पिछले 1 साल से हम ऐसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।” छात्राओं के इस धरने को देखते हुए रात में कैंपस में भारी पुलिस बल और सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। ताकि यह कोई बड़ा प्रदर्शन न बन जाए।