
DLW Employees protest against Incorporation
वाराणसी. रेल मंत्रालय का फैसला हजारों रेल कर्मियों और उनके परिवार पर भारी पड़ने जा रहा है। इस फैसले की जानकारी होने के बाद से बनारस के डीजल रेल इंजन कारखाना के कर्मचारी और उनके परिवारीजन आक्रोशित व आंदोलित हैं। नित नए तरीक से अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैँ। इसी क्रम में आंदोलन के 13वें दिन उन्होंने अर्द्ध नग्न हो कर विरोध जताया।
बता दें कि रेल मंत्रालय के सौ दिनों के एक्शन प्रोग्राम के तहत जारी पत्र के छठवें पैरा में डीएलडब्ल्यू सहित रेलवे की देश सात उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण किया जाना है। इससे हजारों डीएलडब्ल्यू के ही हजारों कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी नहीं रह जाएंगे। उन्हें मिलने वाली सभी सरकारी सुविधाएं छीन ली जाएंगी। इसमें ऐसे कर्मचारी भी हैं जो हाल ही में म्यूच्युवल ट्रांसफर के तहत डीएलडब्ल्यू में आए हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्हें पैत्रिक आवास पर रहने को मिलेगा। परिवार संग रह सकेंगे। ऐसे कर्मचारियों में ज्यादा गुस्सा है क्योंकि अगर वो रेलवे में रहते तो फिलहाल इस तरह का संकट उनके सामने नहीं आता।
इसके अलावा भी जो कर्मचारी हैं वो अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं। केंद्रीय कर्मचारी का तमगा छिनने से उन्हें बहुत सारी सुविधाओँ से वंचित जो होना पड़ेगा। ऐसे में वो पिछले 14 दिन से आंदोलित है। वो प्रधानमंत्री के वाराणसी स्थित संसदीय कार्यालय तक जा कर अपनी बात रखना चाहते थे। वो पीएम को उनका वायदा याद दिलाना चाहते थे, जिसके अंतर्गत उन्होंने इसी डीएलडब्ल्यू के मैदान पर इन कर्मचारियों को आश्वस्त किया था कि डीएलडब्ल्यू का निगमीकरण नहीं होगा। अब कर्मचारी उन्हीं की बात को लेकर उनसे सवाल कर रहे हैं।
इसी कड़ी में आंदोलन के 13 वें दिन कर्मचारियों ने डीरेका बचाव संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले डीएलडब्ल्यू कारखाने के पूर्वी द्वार से प्रशासन भवन तक अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। इसके लिए कर्मचारी कारखाने के पूर्वी द्वार पर दोपहर 12 बजे के बाद से ही एकत्र होने लगे थे। पंद्रह मिनट में ही बड़ी तादाद में कर्मचारी एकत्रित होकर निगमीकरण और सरकार विरोधी नारेबाजी शुरू कर दिए। 12.30 बजे सभी कर्मचारियों ने अपने नेताओं की अगुवाई में आधे कपड़े उतार दिए। देखते ही देखते मौके पर अर्द्ध नग्न कर्मचारियों का सैलाब नजर आने लगा। वे अपनी बाहों में काली पट्टी एवं हाथों में काला झंडा भी लिए थे। इसी रूप में उन्होंने जुलूस निकाला जो कारखाने के पूर्वी द्वार से प्रशासन भवन तक गया। करीब 200 मीटर की दूरी पूरी करने में एक घंटे का समय लग गया।
किसने क्या कहा
-प्रशासन भवन पहुंच कर कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। फिर यहीं सभा की। सभा को संबोधित करते हुए समिति के संयोजक बी डी दुबे ने कहा कि निगमीकरण को लेकर सरकार जिस प्रकार से तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं यह एक लोकतांत्रिक देश के लिए सर्वथा अनुचित है।
-डीएलडब्लू मजदूर संघ के महामंत्री ने कहा कि सरकार अपनी मूल नीतियों से भटक गई है जो न्यायोचित नहीं है।
-डीएलडब्लू मेंस यूनियन के महामंत्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार निजीकरण के सवाल पर तो बोल रही है लेकिन निगमीकरण पर कुछ नहीं बोल रही है इससे सरकार की नियत में खोट प्रतीत होता है, जिसे किसी भी कीमत पर यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगा, जरूरत पड़ी तो यूनियन राष्ट्रीय नेताओं से बात कर इस आंदोलन को पूरे भारतीय रेल तक फैलाने का प्रयास करेगा।
-भारतीय मजदूर संघ वाराणसी के जिला मंत्री राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी ने एक साथ हैं, हम सभी ने राष्ट्रीय यूनियन का आह्वान किया कि इस आंदोलन में साथ आएं और रेल ट्रैक जाम करने का फैसला लें।
-डीएलडब्लू रेल मजदूर यूनियन के महामंत्री राजेंद्र पाल ने कहा कि निगमीकरण का फैसला स्वीकार नहीं है इसके लिए यूनियन लंबी लड़ाई के लिए तैयार है।
-मेन्स कांग्रेस आप डीएलडब्लू के एस के श्रीवास्तव ने कहा कि वित्त मंत्री का बजट पर भाषण श्रमिक विरोधी है।
इन्होंने भी किया संबोधित
सभा को एससी-एसटी एसोसिएशन के महामंत्री सरदारा सिंह ओबीसी एसोसिएशन के महामंत्री हरि शंकर समेत कर्मचारी परिषद के सदस्य अजीमुल हक विनोद सिंह नवीन सिन्हा आलोक वर्मा प्रदीप यादव आदि ने भी संबोधित किया।
ये रहे शामिल
प्रदर्शन एवं सभा में प्रमुख रूप से बी पी सिंह, अमित कुमार सिंह, अरविंद प्रधान, रोहित शर्मा, सुशील सिंह, रवि शंकर सिंह, श्याम मोहन तिवारी, रूप सिंह मीणा, अरविंद यादव, अजय कुमार, उमेश्वर सिंह, सरोज कुमार, हर्षदीप कुमार, रमेश प्रजापति आशुतोष कुमार, चितरंजन कुमार समिति के मीडिया प्रभारी अविनाश पाठक आदि मौजूद रहे।
Published on:
07 Jul 2019 04:31 pm
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