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डीएलडब्ल्यू निगमीकरणः कर्मचारियों का परिवार ही नहीं, आस-पास के ग्रामीणों का भी आंदोलन को समर्थन

परिवार के साथ डीरेका कर्मियों ने बनाई मानव श्रृंखला-विकलांग कर्मचारियों में दिखा जोश-बच्चे और महिलाओं ने भी कसी कमर-नन्हे बच्चे भी तख्तियां लेकर डटे रहे मैदान में -आस-पास के गांव वालों का भी मिला समर्थन -11 दिन से चल रहा हैं आंदोलन

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DLW employees set up Human chain with family against incorporation

DLW employees set up Human chain with family against incorporation

वाराणसी. डीरेका सहित सात रेल कारखानों के निगमीकरण के प्रस्ताव का विरोध दिन प्रतिदिन बढ़ने के साथ साथ व्यापक होता जा रहा है और इस आंदोलन में जब से डीरेका कर्मीयो के परिवार के लोग भागीदारी किए हैं आंदोलन का स्वरूप ही बदल गया है। जो बच्चे मोदी-मोदी का नारा लगाते थे वही बच्चे सडकों पर उतर कर अपने माता- पिता के साथ साथ अपने भविष्य के लिए अपने सांसद और प्रधानमंत्री से निगम न बनाने की अपील कर रहे है। यही नहीं डीरेका के निर्माण के लिए अपनी जमीन दान देने वाले ग्रामीणों ने भी इस आंदोलन को समर्थन दे कर इसे और व्यापक बना दिया है। साथ ही दिव्यांग कर्मचारी भी पूरे जोश के साथ इस मानव श्रृंखला में अपनी भागीदारी पूरी की।

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कई दिनों से आंदोलन देख रहे आस पास के ग्रमीणों ने जब कर्मचारी नेताओ से संपर्क कर निगम के विषय मे जाना तो ग्रामीणों ने कहा जमीन हम लोगों ने भारत सरकार को बिजनेस करने के लिए नही बल्कि देश , क्षेत्र और समाज का भला हो इसलिए दान में दिया था। लेकिन सरकार यदि निगम बनाएगी तो हम सभी आस पास के ग्रामीण जिसमे जलालीपट्टी, ककरमत्ता, भिखारीपुर, पहाड़ी, कंचनपुर, कंदवा, घमहापुर के ग्रामीण भी है डीरेका को बचाने के लिए रेलकर्मचारियों के साथ खड़े ही नहीं होंगे बल्की आगे आकर विरोध करेंगे। काशी की शान डीरेका को हम लोग निगम बनने देंगे। ग्रामीणों ने डीरेका बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति को अपना समर्थन देने और उसके बैनर तले पूरा क्षेत्र एकजूट होकर निगमीकरण का विरोध करेगा।

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डीरेका की जो महिलाएं प्रधानमंत्री को प्रतिवर्ष राखियां भेजती है वो आज अपने भाई और देश के प्रधानमंत्री से अपने डीरेका को निगमीकरण से बचाने की अपील कर रही है।

डीरेका बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरुवार की शाम डीरेका सेंट जॉंस गेट से होते हुए प्रेक्षा गृह, सूर्य सरोवर, डीरेका इंटर कालेज से कंदवा से नाथुपुर होते हुए डीरेका के हर सड़क पर केवल मानव श्रृंखला ही दिखाई देने लगी जो लगभग 9 किलोमीटर से ऊपर बन गई।

इसमें सभी कर्मचारी यूनियनों के महामंत्री, डीएलडब्लू रेल मजदूर यूनियन के राजेन्द्र पाल, डीएलडब्लू मजदूर संघ के कृष्ण मोहन, मेंस कांग्रेस आफ डीएलडब्लू से राजेश कुमार , डीएलडब्लू मेंस यूनियन से अरविंद श्रीवास्तव, एससी/एसटी एसोसिएशन से सरदार सिंह, ओबीसी एसोसिएशन से हरिशंकर यादव ने साथ मिलकर सभी कर्मचारीयो एवं उनके परिवार के लोगों के साथ इस आंदोलन में शामिल हो कर समर्थन दिया।

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जब श्रृंखला बन रही थी तो कुछ सब्जी विक्रेता महिलाएं और ऑटो चालक भी इसमे शामिल हुए वे कहने लगे इसी डीरेका से हमारा परिवार भी चलता है तो हम कैसे अपने आप को रोक सकते है। डीरेका के सयुंक्त सचिव एवं डीरेका बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक विष्णु देव दुबे ने कर्मचारीयों का आभार व्यक्त किया। साथ ही उन संगठनों को भी धन्यवाद दिया जो डीरेका के ऊपर आए इस संकट की घड़ी में एकजूट होकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने सरकार को चेताया भी की यदि तत्काल कोई इस पर निर्णय नही हुआ तो ये आंदोलन इतना व्यापक हो जाएगा कि पूरी काशी की जनता डीरेका को बचाने के लिए सडको पर उतर जाएगी और यह आंदोलन दिन प्रतिदिन आक्रामक होकर बढता ही जाएगा।

इस मानव श्रृंखला को बनाने में कर्मचारी परिषद के सदस्य नवीन सिन्हा , प्रदीप यादव, विनोद सिंह, आलोक वर्मा, अजीमुल हक एवं पूर्व कर्मचारी परिषद सदस्य सुशील सिंह, राधा बल्लभ त्रिपाठी, जय प्रकाश, राकेश पांडेय ,राम सिंह ,के सी पांडेय, देवता नन्द, अमित कुमार, सरोज ,धीरेंद्र, , रंजीत सिंह , उमेश्वर सिंह, एस के श्रीवास्तव ,एच एन सिंह, मृत्युंजय सिंह ,अजय कुमार,रवि शंकर सिंह, अमित यादव, त्रिलोकी, आशुतोष, अजय सिंह इस मानव श्रृंखला में सम्लित हुए।

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