पाल बीसला तालाब को नो-कंस्ट्रक्शन जोन (एनसीजेड) घोषित करने के बाद भी तालाब के भराव क्षेत्र की भूमि पर नौ मकान बन गए हैं। नगर निगम ने एनसीजेड में बने नौ मकानों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर केवल औपचारिकता पूरी की है।
जिला प्रशासन की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में प्रस्तुत ड्राफ्ट प्लान के तहत 2012 में पाल बीसला तालाब को एनसीजेड घोषित किया था। वर्ष-2012 में एनसीजेड घोषित होने के बाद पाल बीसला के भराव क्षेत्र में नौ मकान बना लिए गए हैं।
राजस्थान पत्रिका में एनसीजेड में मकान बनने की सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित होने के बावजूद मिलीभगत के चलते निगम के अधिकारियों की नींद नहीं खुली। निगम ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में भी स्वीकार किया है कि एनसीजेड घोषित होने के बाद नौ मकान बने हैं।
निगम ने उनके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर केवल नोटिस ही दिए हैं। प्रदेश के लोकायुक्त ने निगम प्रशासन को एनसीजेड घोषित होने के बाद बने मकान ध्वस्त करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन निगम प्रशासन ने लोकायुक्त के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
जिम्मेदारी तय हो
एनसीजेड घोषित होने के बावजूद पाल बीसला के भराव क्षेत्र में बने मकानों के लिए निगम के कनिष्ठ और सहायक अभियन्ता की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। इनके साथ स्वास्थ्य निरीक्षक और जमादार की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।