अधिवक्ता मानबहादुर सिंह, शिवम गौड़ और डीके द्विवेदी ने आदि विश्वेश्वर विराजमान वाद को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट से स्थानांतरित कर जिला जज की कोर्ट में सभी वादों के साथ सुनवाई किए जाने के आदेश का विरोध किया। आदेश को विधि विरुद्ध बताते हुए उसे रिकॉल करने का अनुरोध किया गया। उन्होंने कहा कि हर वाद में अलग-अलग अनुतोष मांगा गया है। ऐसे में एक साथ सुनवाई नहीं की जा सकती।
सिविल जज सीनियर डिवीजन / फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित साल 1991 के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के बाद को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर लीडिंग केस मानकर ज्ञानवापी से जुड़े सभी वादों की सुनवाई की मांग अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी के अधिवक्ता हिमांशु शेखर तिवारी ने की। इस पर लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के बाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी से आपत्ति मांगी गई है। अदालत ने इन सभी आवेदनों और वादों में क्रमवार सुनवाई के लिए 29 मई की तिथि नियत कर दी।