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धर्मसभा के बाद बनारस में इसलिये जुटे हैं मुसलमान, मक्का के मुफ्ती, दुबई-कुवैत से शेख और नेपाल से भी आए हैं उलेमा

मुसलमानों की सबसे बड़े केन्द्र सऊदी अरब के काबा स आए इमाम-ए-हरम खुद करेंगे संबोधित।

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Jamia Salafia

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वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में पूर्वांचल में अपनी तरह के अकेले और विशाल मजहबी मुस्लिम संस्थान जामिया सलफिया में आज (बुधवार) से दो दिनों तक दिग्गज मुस्लिम धर्मगुरुओं और लोगों का जमावड़ा हो रहा है। इस आयोजन में सिर्फ भारत भर से बड़े उलेमा, मौलाना और मुफ्ती ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आ रहे हैं। सऊदी के अरब के मक्का से मुफ्ती-ए-हरम, दुबई से शेख, कुवैत और नेपाल आदि देशों से भी बड़ी मुस्लिम हस्तियां हिस्सा ले रही हैं।

इसमें मक्का के इमाम-ए-हरम डॉ. वसीउल्लाह अब्बास मदनी की मौजूदगी खास रहेगी। उनके अलावा दुबई के शेख, जफरुल हसन मदनी, यूएई के अब्दुर्रज्जाक सलफ, कुवैत से मो. अनवर सलफी और नेपाल से शेख अब्दुल मन्नान सलफी वगैरह खासतौर से मौजूद रहेंगे। इनके अलावा देश भर के राज्यों से मुस्लिम उलेमा शिरकत करंगे। इनमें जमीयत अहले हदीस हिंद के असगर अली इमाम मेहंदी, अब्दुस्सलाम सलफी मुंबई से, कर्नाटक से अब्दुल वहाब जामेई, बिहार से डॉ. अरशद फहीम और पश्चिम बंगाल के मशहूर आलिम-ए-दीन मो. इसहाक मदनी भी आयोजन में हिस्सा ले रहे हैं।

क्या है आयोजन

यह आयोजन दरअसल अल जामियतुस्सलफिया जिसे आसान भाषा में जामिया सलफिया कहते हैं। इसके पुरातन छात्रों का एक समागम है। जामिया सलफिया को अरबी और दीनियात की डीम्ड युनिवर्सिटी भी कहा जाता है। यहां से पढ़े हुए लोग सऊदी अरब, दुबई, यूएई, कुवैत, कतर समेत सऊदी मुलकों के अलवा नेपाल, बंग्लादेश समेत देशों में हैं। जामिया सलफिया के महासचिव अब्दुल्लाह सऊद सलफी ने बताया कि आयोजन का मकसद पुरातन छात्रों का ताल्लुक इदारे (संस्था) से बनाए रखना है। 28 नवंबर को सुबह नौ बजे के बाद आयोजन शुरू होगा, जिसमें हजारों लोग शिरकत करेंगे। यह 29 नवंबर तक चलेगा।

2013 में भी हुई थी इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन पीस

जामिया सलफिया में इस तरह का बड़ा आयोजन पांच साल के बाद हो रही है, जिसमें इमाम-ए-हरम और दूसरे सऊदी। 2013 में जामिया में ‘इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन सुन्नत नबवी एंड वल्र्ड पीस’ के नाम से आयोजित की गयी थी। इसमें इमाम-ए-हरम डॉ. फैसल गजावी मुख्य मेहमान थे, उनके साथ खय्यत फहद अबदुल फत्ताह और अहमद ए एस अलरूमी भी आए थे। इसके अलावा सऊदी अरब की मदीना युनिवर्सिटी से चार लोगों का डिलीगेशन भी आया था, जिसमें डॉ. अब्दुल्लाह जुसैद अल जहरानी, डॉ. अब्दुल अजीज बिन मोहम्मद अल फोरैह, डॉ. अजीज बिन सुलैमान अल गुफैली शामिल थे। जुमे का दिन होने के नाते नमाज-ए-जुमा भी इमाम-ए-हरम ने ही अदा करायी थी।


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