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पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही टूट सकता है उनका सपना

अधिकारियों की लापरवाही पड़ रही भारी, एनजीटी की सख्ती के बाद भी नहीं बदल रहे हालात

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PM Narendra Modi

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वाराणसी. पीएम नरेन्द्र मोदी का बड़ा सपना उनके संसदीय क्षेत्र बनारस में ही टूट सकता है। अधिकारियों की लापरवाही व स्थानीय लोगों मेें जागरूकता के आभाव के चलते ही बड़ा काम शुरू नहीं हो पाया है। आश्चर्य की बात है कि एनजीटी भी इसी मुद्दे पर सख्ती दिखा चुकी है इसके बाद भी हालत नहीं बदल रहे हैं।
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पीएम नरेन्द्र मोदी ने जल संरक्षण व संचयन का बड़ा सपना देखा है। बनारस को फिर से आनंद कानन बनाने के लिए खुद ही पीएम मोदी ने पौधरोपण अभियान की शुरूआत की है। बनारस की स्थिति पर्यावरण व जल को लेकर बेहद खतरनाक हालात में पहुंचती जा रही है। गंगा के किनारे बसे शहर में तेजी से भूजल स्तर गिरता जा रहा है, जिसकी बड़ी वजह शहर के तालाब व कुंडों पर भूमाफिया का कब्जा होना व सफाई व्यवस्था खराब होना है। मंडुवाडीह थाना के पास मांडवी तालाब है, जिसे गंगा-जमुनी तहजीब की पहचान भी माना जाता है। तलाब की स्थिति पहले बहुत खराब थी लेकिन मंडुवाडीह के तत्कालीन एसओ ने वर्ष 2017 में सख्त अभियान चला कर तालाब को भूमाफिया से मुक्त करके नया जीवन दिया था। भूमाफिया का सरकार पर इतना दबाव था कि तालाब को ठीक कराने वाले एसओ को ही हटा दिया गया था और फिर से तालाब पर कब्जे की कोशिश शुरू हो गयी थी जो आज भी जारी है। तालाब के किनारे गंदगी की भरमार है, जिसके चलते भी उसके अस्तित्व पर संकट के बादल छाये हुए हैं।
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एनजीटी की सख्ती के बाद भी नहीं बदल रहे हालात
शहर के अनेक तालाब व कुंडों को भूमाफिया ने कब्जा कर उसे खत्म कर दिया है जो बचे हुए है उसमे से अधिकांश की स्थिति खराब है। पांडेयपुर चौराहे पर ही एक तालाब है, जिस कूड़े से पाट कर खत्म करने की साजिश की जा रही है लेकिन अधिकारियों को इसकी परवाह नहीं है। तालाब व कुंड तो दूर की बात है। वरूणा नदी के किनारे बड़े लोगों ने अतिक्रमण कर नदी की धारा ही मोड दी है। अखिलेश यादव व सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में जिस अधिकारी ने यहां के अतिक्रमण को हटाने का प्रयास किया था उसे गद्दी ही छोडऩी पड़ गयी थी। वरुणा नदी की स्थिति को देख कर एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने कड़़ी नाराजगी जतायी थी और अतिक्रमण को हटाने को कहा था लेकिन आज भी अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखायी।
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मानसून में नहीं सुधरे नदी, तालाब व कुंड तो कैसे होगा जल संरक्षण
बड़ी बात है कि मानसून के समय ही तालाब, कुंड व नदी की स्थिति नहीं सुधरी तो जल संरक्षण करना कठिन हो जायेगा। मानसून के समय पानी की कमी नहीं रहती है। तालाब, कुंड व नदी की स्थिति सही रहेगी तो मानसून का पानी से यह भर जायेंगे। इससे भूजल की स्थिति भी सुधरेगी और गर्मी में पानी की कमी नहीं होगी। पीएम मोदी ने अभियान की शुरूआत तो कर दी है, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ के अधिकारी अभी कुंडों को लेकर सक्रिय नहीं हो पाये हैं।
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