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तीन साल बाद मां सेे मिला बिछड़ा बेटा, अपना घर आश्रम ने दी नयी जिंदगी

बनारस में आठ माह पूर्व मिला था राजगीर, चिकित्सक दम्पत्ति के आश्रम में इलाज के बाद हुआ स्वस्थ्य

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Apna ghar ashram

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वाराणसी. चिकित्सक दम्पत्ति का अपना घर आश्रम बेसहारा व मरीजों के लिए संजीवनी केन्द्र बनता जा रहा है। सामने घाट स्थित आश्रम में लावारिस लोगों को रख कर उनकी सेवा की जाती है। यदि वह बीमार हैं तो पूरा इलाज किया जाता है इसके बाद परिजनों का पता कर उन्हें सौपा जाता है। इसी क्रम में तीन साल बाद राजगीर को उनकी मां मिली है। बेटे के मिलते ही मां ने उसे गले लगा लिया।
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प्रतापगढ़ निवासी राजगीर तीन साल से गायब था। लगभग आठ माह पूर्व ही वह बीएचयू के नरिया गेट के पास असहाय अवस्था में मिला था। अपना घर आश्रम के लोग उसे लेकर आये थे। आश्रम में आने पर पता चला कि उसे सांस की गंभीर बीमारी है। इसके बाद आश्रम में रख कर उसका इलाज किया गया। मरीज की इतनी सेवा की गयी कि वह ठीक हो गया। इसके बाद आश्रम की देखरेख करने वाली डा.कात्यायनी ने राजगीर के घर की जानकारी ली। पता चला कि वह प्रतापगढ़ का रहने वाला है। इसके बाद उन्होंने प्रतापगढ़ पुलिस से सम्पर्क कर राजगीर के घर वालों की जानकारी जुटायी। पता मिलने पर राजगीर की फोटो उसके परिजनों को भेजी गयी। फोटो देख कर परिवार वाले उसे पहचान गये। जिस बेटे के मिलने की उम्मीद खो चुके थे। उसके सकुशल होने की जानकारी मिलने पर सभी की आंख भर गयी। मां तुरंत ही आश्रम पहुंची और अपने बिछड़े बेटे को गले लगा लिया। यह दृश्य देख कर आश्रम के लोगों की आंख में भी आंसू आ गये। आश्रम के लोगों ने राजगीर को परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
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बिना किसी की मदद के चिकित्सक दम्पत्ति चलाते हैं अपना घर आश्रम
नेत्र सर्जन डा.के निरंजन व उनकी पत्नी डा.कात्यायनी मिल कर इस अनोखे आश्रम को चलाते हैं। डा.के निरंजन सड़क पर घुमते हुए बेसहारा व असहाय लोगों को देखते थे तो उन्हें बहुत दु:ख होता था उन्होंने ऐसे लोगों के लिए आश्रम खोलने के बारे में सोचा। विचार आने के मात्र से ही उन्हें बहुत संतुष्टि मिली। इसके बाद उन्होंने अपने संसाधन से यह आश्रम खोला। अपने खर्च पर ही सैकड़ों लोगो के दवा व खाने की व्यवस्था करते हैं। आश्रम में सभी को सारी सुविधा मिलती है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी इस आश्रम में आये थे और वहां की व्यवस्था की बहुत तारीफ की थी।
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